नेताओं को करोड़पति कैसे बना देता है भारत का लोकतंत्र?
पत्रकार राकेश अचल का उत्तरप्रदेश चुनाव के संदर्भ में नेताओं की सम्पत्ति पर आलेख।
आप पढ़ते होंगे तो मन मसोस कर रह जाते होंगे,लेकिन मैं पढ़ता हूँ तो फौरन उधेड़बुन में लग जाता हूँ। मसलन आजकल मैं नेताओं के अर्थशास्त्र का अध्ययन कर रहा हूँ और जानने की कोशिश कर रहा हूँ कि आखिर नेता करोड़पति कैसे हो जाते हैं? भारत का लोकतंत्र नेताओं को करोड़पति कैसे बना देता है? नेताओं के पास एक से अधिक बैंक खाते क्यों होते हैं ? या नेता अपनी बीबी से ही कर्ज क्यों लेता है?
नेताओं की सम्पत्ति नौकरशाहों की सम्पत्ति की तरह अकूत होती है,बेशुमार,लेकिन जब से केंचुआ ने चुनाव लड़ने के लिए सम्पत्ति सार्वजनिक करने का नियम बनाया है तब से नेताओं की थोड़ी-बहुत सम्पत्ति जनता की निगाह में आने लगी है लेकिन ये उतनी ही होती है जितनी की नेताजी घोषित करते हैं,अघोषित सम्पत्ति के बारे में केंचुआ तो क्या उसके पितामह शेषनाग जी भी पता नहीं लगा सकते। हाल ही में हमारे उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ रहे नेताओं ने अपनी सम्पत्ति जाहिर करना शुरू की है।
हमारे नेताजी के योग्य पुत्र साइकल सवार अखिलेश बाबू ने भी अपनी सम्पत्ति जाहिर की है। पिछले दो दशक से साइकल की सवारी करते हुए भी भाई साहब ने कोई 40 -50 करोड़ की सम्पत्ति तो बना ही ली है। जो हाथी के दिखने वाले दांत जैसी है .भाई साहब के पास चूंकि इतनी सारी सम्पत्ति है इसलिए इसे जमा करने के लिए कम से कम 11 बैंकों में खाते भी हैं। यहां तो मुश्किल से दो खाते ही हैं और वे भी मिनिमम बैलेंस नं होने पर जमा रकम को ही खा जाते हैं। लेकिन नेताओं के बैंक खाते ऐसा नहीं करते ..उनमें मिनिमम बैलेंस होता ही नहीं है। नेताओं के खाते मैक्सिमम बैलेंस वाले खतों की श्रेणी में रखे जाते हैं।
सौभाग्य से या नेताओं के भाग्य से देश में अभी तक ऐसा कोई नियम नहीं है कि आप बैंक में एक से अधिक खाता नहीं रख सकते। इसलिए बैंक खाते भी स्टेटस सिम्ब्ल बन गए हैं। यानी जैसे जिसके पास जितनी ज्यादा कारें होती हैं। उसके पास उतने ही ज्यादा बैंक खाते भी होना चाहिए तभी उसे सोसाईटी में बड़ा आदमी माना जाता है। बड़ा आदमी चाहे साइकल पर चले या हाथी पर कमल खिलाये या हाथ हिलाये होता करोड़ों का आसामी ही है। ज्यादा ही होगा,कम नहीं।
अखिलेश भाई साहब के हलफनामे के मुताबिक उनके पास करीब 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है। अखिलेश यादव के पास महज 1.79 लाख और पत्नी डिंपल यादव के पास 3.32 लाख रुपये नकद हैं। अखिलेश के नाम पर सात और डिंपल यादव के नाम पर 11 बैंक खाते हैं। उन्होंने अपनी कमाई का मुख्य जरिया कृषि और लोकहित,वेतन, किराया बताया है। पत्नी डिंपल यादव की आय का स्त्रोत पूर्व सांसद पेंशन, किराया और खेती है।बैंक खातों में अखिलेश के पास 5.56 करोड़ और डिंपल यादव के खाते में 2.57 करोड़ रुपये जमा हैं। दोनों के पास मिलकर कुल मिलाकर 26.83 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। बेटी अदिति यादव के पास भी 10.39 लाख रुपये की चल संपत्ति है।
नेताओं के पास इतनी सम्पत्ति होती है फिर भी वे अपनी बीबी के कर्जदार होते हैं। क्यों होते हैं ये मै नहीं जानता। नेता भी हकीकत नहीं बताते लेकिन नेता अपनी बीबी से भले ही कर्ज ले लें किन्तु दूसरों को दिल खोलकर उधार देते हैं। अखिलेश यादव की सालाना आय 83.98 लाख और पत्नी डिंपल की आय 58.92 लाख है। इसके बाद भी अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल से 8.15 लाख रुपये का कर्ज लिया है। हालांकि अखिलेश ने पिता मुलायम सिंह यादव को 2.13 करोड़ का कर्ज दिया भी है। इसके अतिरिक्त अखिलेश यादव ने छह अन्य कंपनियों व लोगों को लाखों रुपये का उधार दिया है।
अखिलेश भाई साहब और माया मेम के मुकाबले योगी आदित्यनाथ साहब की सम्पत्ति बहुत कम है। पांच साल पहले उनके द्वारा दिए गए हलफनामे के मुताबिक उनकी वर्तमान संपत्ति की कुल कीमत 95 लाख 98 हजार रुपये से ज्यादा है। 2014 में जब योगी ने गोरखपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, तो उनकी संपत्ति 72 लाख 17 हजार रुपये से ज्यादा थी। यानी लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक यूपी के सीएम की संपत्ति 23 लाख 80 हजार रुपये बढ़ी है।अब पांच साल बाद उनकी सम्पत्ति कितनी बढ़ी इसका हिसाब वे इस महीने देंगे,तब तक सब्र कीजिये।
हिन्दुस्तान में राजनीति करने वाले कर्पूरी ठाकुर जैसे कंगले बहुत कम हैं या हैं ही नहीं। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रहीं श्रीमती प्रियंका वाड्रा की सम्पत्ति अखिलेश और माया मेम के मुकाबले कई गुना अधिक है। प्रियंका गांधी के पास एक दो करोड़ नहीं बल्कि 450 करोड़ रुपए की संपत्ति है। फाइनेंशियल बेवसाइट फिनएप के मुताबिक प्रियंका गांधी के पास 85 करोड़ के चार घर हैं। वो हर साल करीब 33 करोड़ रुपए की कमाई करती हैं। प्रियंका की कार कलेक्शन की बात करें तो उनके पास फिलहाल 5 गाड़ियां है जिनकी कुल कीमत 4.1 करोड़ रुपए बताया जा रहा है। प्रियंका गांधी ने अपनी पढाई दिल्ली के माडर्न स्कूल से की हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसान, प्रियंका अपने बेटे की पढ़ाई पर हर साल करीब 9 लाख रुपए खर्च करती हैं।
इस तरह नेताओं की सम्पत्ति को देखकर लगता है की हमारे देश का लोकतंत्र केवल नेताओं के लिए ही मुफीद है। आम आदमी के हिस्से में ये सब नहीं आता। आज भी 80 करोड़ आबादी के पास दो वक्त के भोजन का इंतजाम नहीं है। हमारी सरकार को उनके खाने का इंतजाम करना पड़ता है। ऊपर से तुर्रा कि हम विश्व गुरु बनने वाले हैं। र हमारे देश के नेता गरीबी की तरह फलते-फूलते रहें, ताकि लोकतंत्र पर कोई उंगली न उठा सके और जो ऐसा करे उसे नेताओं के हलफनामे दिखा दिए जाएँ क्योंकि ये हलफनामे ही देश की प्रगति ,समृद्धि के असली प्रमाणपत्र हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)