ऑपरेशन गंगा: राहत के साथ पूरी ताकत से राजनीति भी कर रहे चारों मंत्री
पत्रकार राकेश अचल का यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को बाहर निकालने चलाये जा रहे ऑपरेशन गंगा पर आलेख।
भारत सरकार युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को बाहर निकालने के लिए एड़ी-चोटी का जोर जरूर लगा रही है लेकिन देश के चार मंत्रियों में से एक ने भी यूक्रेन की सीमा में प्रवेश नहीं किया है। भारत की ओर से विशेष दूत बनाकर भेजे गए चारों मंत्री यूक्रेन की सीमा से लगे चार अलग-अलग पड़ौसी देशों में बैठकर आपरेशन को अंजाम दे रहे हैं,लेकिन चारों मंत्रियों के साथ मीडिया कव्हरेज के लिए भारतीय न्यूज चैनलों के प्रतिनिधि मौजूद हैं,ताकि भारत में इस बचाव अभियान का पूरा प्रचार किया जा सके।
आपको याद होगा कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए जब सरकार पर चौतरफा दबाव पड़ा तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोमानिया और मोलदोवा,किरेन रिजिजू स्लोवाकिया, हरदीप सिंह पुरी को हंगरीऔर वीके सिंह पोलैंड भेजा है। ये चारों मंत्री अब तक करीब 3500 भारतीय छात्रों को स्वदेश भेज चुके हैं लेकिन चारों राहत के साथ राजनीति भी पूरी ताकत से कर रहे हैं और सवाल करने पर भारतीय छात्रों को राजनीति न करने की सलाह दे रहे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया रोमानिया के बुखारेस्ट पहुंचे तो बिहार की विशाखा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से कहा कि ‘हमारी सरकार पूरी तरह से न्यूट्रल है ‘ तो सिंधिया बोले -‘ अभी तुम राजनीति में न पड़ो।’ साथ ही उन्होंने छात्रा को बाहर निकालने की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा कि तुम सबको निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां मुझे भेजा है। विशाखा का भाई अभी खारकीव में फंसा हुआ है। सिंधिया महाराष्ट्र के छात्रों से मराठी में बातचीत करते देखे गए।
भारत की ओर से राहत-बचाव के लिए भेजे गए चार मंत्रियों में से एक की भी यूक्रेन की सीमा में घुसने की हिम्मत नहीं हुई। यूक्रेन से बमों की बरसात के बीच भारतीय छात्र खुद जान हथेली पर रखकर पड़ौसी देशों की सीमाओं तक पहुँच रहे हैं । हालांकि भारत सरकार के आग्रह पर रूस ने भारतीय छात्रों को सुरक्षित रास्ता देने की व्यवस्था भी की लेकिन इससे भी खतरा टला नहीं है। रूसी बमबारी के बीच जान पर खेलकर खारकीव रेलवे स्टेशन पहुंचे हैं सैकड़ों भारतीय छात्र। दूतावास की ओर से तुरंत खारकीव छोड़ने के निर्देश मिले थे। खारकीव रेलवे स्टेशन पर इस समय हजारों की भीड़ है।
यूक्रेन और रूस के बीच जंग तेज होती जा रही है। युद्ध के सातवें दिन रूस ने यूक्रेन के कई शहरों को निशाना बनाया। राजधानी कीव और खरकीव में रूसी हमले में बड़ी तबाही होने की बात कही जा रही है। रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर बढ़ रही है और यूक्रेनी फौजें उनका मुकाबला कर रही है। इस बीच, यूक्रेन में एक और भारतीय छात्र की मौत का मामला सामने आया है। भारतीय छात्र की मौत बीमारी की वजह से हुई है। इस बारे में भारतीय न्यूज चैनलों के पास खबरों के नाम पर केवल ‘ उधार का सिन्दूर ‘है। भारतीय न्यूज चैनलों के संवाददाता मंत्रियों के आगे पीछे घूम रहे हैं।
दुनिया को विश्व युद्ध की और धकेल रहे रूस और यूक्रेन युद्ध में अभी भारत के एक छात्र की मौत हुई है। युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव शहर में मंगलवार को गोलाबारी में केरल का 25 वर्षीय एक छात्र बाल-बाल बच गया जबकि उसके बैच के साथी कर्नाटक निवासी नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की मौत हो गई। गोलाबारी के समय मेडिकल छात्र असोयुन हुसैन अपने साथी ज्ञानगौदर से महज 50 मीटर की दूरी पर था। भारतीय छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि अनेक भारतीय छात्र यूक्रेन के शहरों में बंकरों में छिपे हुए हैं और वे लगातार गोलाबारी के कारण भागने में असमर्थ हैं। उन्होंने भारतीय दूतावास के उस परामर्श पर भी चिंता व्यक्त की है जिसमें छात्रों को निकासी के लिए यूक्रेन की सीमाओं तक पहुंचने के लिए कहा गया है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आशंकाओं के बावजूद भारत अपने छात्रों को वापस लाने की रणनीति बनाने में चूक गया। अब भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला कह रहे है कि उन भारतीय छात्रों को लेने के लिए 26 विमानों को भेजा जा रहा है, जो यूक्रेन से सीमा पार कर पड़ोसी देशों में आ गए हैं। श्रृंगला ने बताया कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन गंगा अभियान के तहत 8 मार्च तक 46 उड़ानें उपलब्ध होंगी। इनमें से 29 बुखारेस्ट से, 10 बुडापेस्ट से, छह पोलैंड के शहर ज्येजो से और एक स्लोवाकिया से उड़ान भरेगी।
मौजूदा संकट के समय भारत सरकार की कोशिशों पर टीका -टिप्पणी का कोई मतलब नहीं है, इसलिए जो हो रहा है,जितना हो रहा है और जैसा हो रहा है ठीक ही है भले ही सरकार इस अभियान का भी सियासी लाभ लेने की नाकाम कोशिश कर रही है। राज्यों में मंत्री और दूसरे नेता यूक्रेन में फंसे छात्रों के परिजनों से मिलकर सरकार की कोशिशों के बारे में बता रहे हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के अंतिम चरण में भी इस आपरेशन गंगा अभियान का जिक्र किया जा रहा है। मजे की बात ये है कि भारतीय छात्रों को वापस लेने के अभियान में शामिल किये गए चार मंत्रियों में से अकेले ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसे हैं जो सबसे ज्यादा लाइम लाइट में हैं। बाक़ी के तीन मंत्री क्या कर रहे हैं, किसी को पता नहीं चल रहा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)