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भाड़ में जाए मंहगाई मेरे भाई!

मैं किसी भी सूरत में देशद्रोही तो नहीं होने वाला। पेट्रोल सौ के बजाय दो सौ रूपये लीटर हो जाये, मैं उफ़ नहीं करूंगा।

राकेश अचल

डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस के दाम लगातार बढ़ रहें हैं तो बढ़ने दीजिये, मैं कोई देशद्रोही नहीं हूँ जो इस सबके लिए अपने प्यारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को जिम्मेदार ठहराऊं। दाम हैं घटे-बढ़ते रहते हैं। इसके लिए बेचारे मोदी जी क्या कर सकते हैं। किसी ने आपको पीले चावल तो नहीं दिए कि आइये और पेट्रोल-डीजल तथा रसोई गैस खरीदिये।

हमारे एक राष्ट्रभक्त मित्र ने हमसे बड़े पते की बात कही कि जितने दाम में एक लीटर पेट्रोल आता है उतने ही दाम में दो लीटर दूध भी आता है। जाइये दो लीटर दूध खरीदिये, पीजिये और झूलकर साइकल चलाइये। रसोईघर में जैसे पहले लकड़ी-कंडे जलाते थे वैसे फिर से उनका इस्तेमाल कीजिये। मंहगाई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकती। अरे पेट्रोल डीजल के भरोसे क्यों बैठे हो! खेती-किसानी के लिए गौवंश का इस्तेमाल कीजिये न पहले की तरह। पूरा गौवंश देश की सड़कों पर बेरोजगार घूम रहा है। यातायात बिगड़ रहा है, हादसे बढ़ा रहा है। इन सब को हल-बखर में जोट दीजिये। एक पंथ दो काज हो जायेंगे। एक तो मॅंहगाई का रोना नहीं रोना पड़ेगा और दूसरे हर बैल-सांड को काम मिल जाएगा।

हमारे देश के किसान हों या मजदूर, विपक्षी नेता हों या पत्रकार हमेशा हर समस्या के लिए प्रधानमंत्री जी को कोसते रहते हैं, जबकि बेचारे प्रधानमंत्री जी को हजामत बनवाने तक की फुरसत नहीं है। देश सेवा करते-करते उनकी दाढ़ी जितनी बढ़ी है। उतनी दुनिया के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की बढ़ी हो तो बता दीजिये, हम मान लेंगे अपने प्रधानमंत्री जी को हर समस्या के लिए जिम्मेदार। आप चीन की बहुत चर्चा करते हैं, अमेरिका को बहुत महान मानते हैं, रूस को बहुत अक्लमंद मानते हैं, इनमें से किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष की दाढ़ी-मूंछ या सर के बाल बढ़े? लगता है जैसे सबके सब सैलून में ही बैठे रहते हैं। कैमरे के सामने जब आते हैं एकदम चमकते हुए।

देश के किसान तीन महीने से दिल्ली की देहलीज पर बैठे हैं, जिद लेकर कि प्रधानमंत्री जी बात करें तो घर लौटेंगे वरना नहीं, अक्टूबर तक बैठे रहेंगे दिल्ली की देहलीज पर बैठे रहिये! आपकी मर्जी है। प्रधानमंत्री जी के पास जब फुरसत होगी तब आपसे मिल लेंगे। अभी उनके सामने बंगाल विधानसभा के चुनाव हैं, असम के चुनाव हैं, पांडुचेरी में तख्ता पलट की जिम्मेदारी है, नए राज्यपालों की नियुक्ति का मसला है और आप हैं कि प्रधानमंत्री जी और उनके साथ देश की बदनामी करने पर आमादा हैं।

अब यूपी के उन्नाव में यदि फिर से हाथरस जैसा कुछ हो गया तो प्रधानमंत्री जी क्या करें बताइये? वहां जो करना है वो योगी जी को करना है और वे जो मुमकिन है सो कर रहे हैं। उन्हें राममंदिर के लिए चन्दा भी वसूल करवाना है और अपना इत्ता बड़ा सूबा भी चलाना है। सूबे के सब्र साइकल और हाथी सवार तो पता नहीं कहाँ लापता हो गए हैं। केवल विधानसभा में हंगामा करने के लिए प्रकट होते हैं करमजले!

मैंने तो तय कर लिया है कि देश में चाहे भूचाल आ जाये, चाहे आग लग जाये मैं अपने प्रधानमंत्री जी की और आँख उठाकर भी नहीं देखने वाला। प्रधानमंत्री जी के अलावा दूसरे लोग हैं, मैं उन्हें देखकर अपना काम चला लूंगा लेकिन न प्रधानमंत्री जी का दिल दुखाऊंगा और न उनके करोड़ों भक्तों का। मुझे बचपन में ही पढ़ा दिया गया था कि किसी का दिल दुखाना सबसे अधम काम है। अब पेट्रोल, डीजल और गैस के दाम बढ़ने से अवाम का दिल दुखता है तो इसके लिए प्रधानमंत्री जी नहीं बल्कि तेल उत्पादक देश जिम्मेदार हैं। वे जिम्मेदार हैं जो घरेलू समंदर में से तेल नहीं निकाल पा रहे। बेचारे प्रधानमंत्री जी तो तेल का आयात करते-करते बावले हो गए हैं, लेकिन मजाल है कि एक दिन भी तेल का संकट पैदा होने दिया हो।

तेल की कीमतों को लेकर बड़े-बड़े विद्वान आंकड़े दे देकर ये साबित करने में लगे हैं कि 2014  के पहले देश में तेल की कीमतें उतनी कभी नहीं बढ़ीं जितनी की आज बढ़ीं हैं। कोई ये चर्चा क्यों नहीं करता कि 2014 के बाद संसद में प्रधानमंत्री जी का समर्थन जितना बढ़ा है। उतना पहले कभी किसी का बढ़ा। अब एक चीज कहीं बढ़ती है तो दूसरी चीज कहीं बढ़ती है। देश पर चाहे चीनी हमला हुआ हो, चाहे पाकिस्तान का हमला, चाहे चीन ने अरुणाचल में नया गांव बसा लिया हो लेकिन आप ही बताइये कि हमारे प्रधानमंत्री जी कभी विचलित हुए! ,नहीं हुए। इसे कहते हैं हिम्मत। इस हिम्मत के लिए 56 इंच का सीना चाहिए। विपक्ष के किसी नेता के पास है?

मुझे पता है कि आज आप मंहगाई को लेकर मेरी धारणा को धारण करने के बजाय मुझे उजबक समझ रहे होंगे, तो समझते रहिये। मैं किसी भी सूरत में देशद्रोही तो नहीं होने वाला। पेट्रोल सौ के बजाय दो सौ रूपये लीटर हो जाये, मैं उफ़ नहीं करूंगा। अरे! ‘ अपने लिए जिए तो क्या जिए, ये दिल तू जी मोदी जी के लिए”। मोदी जी कलियुग के अवतार हैं। आप उन्हें कल्की अवतार मानिये या विष्णु का अवतार या कृष्ण का या राम का, इसकी आजादी आपको है। न भी मानिये तो हमें कोई दिक्क्त नहीं होती। अवतारों को कभी किसी से दिक्क्त नहीं होती। अवतार तो दूसरों के लिए दिक्क्त पैदा करते हैं। जनता का कल्याण उनका प्रथम और आखरी उद्देश्य होता है।

विरोधी अफवाहें उड़ा रहे हैं कि दुनिया के बाजार में करोड़ आइल की कीमतें घटी हैं लेकिन भारत में तेल की कीमतें बढ़ी हैं क्योंकि सरकार 33 रूपये प्रति लीटर टैक्स वसूल कर रही है। अरे भाई सरकार जब आपके लिए विदेशों से तेल मांगा रही है तभी तो टैक्स वसूल कर रही है। अब भी खिचड़ी में जाये या खिचड़ी घी में कोई अंतर पड़ता है क्या। आप जो टैक्स दे रहे हैं वो सब सबका विकास और सबका साथ के काम ही तो आ रहा है। प्रधानमंत्री जी तो साल भर से बाहर घूमने तक नहीं गए। सारा काम वर्चुअली पीएमओ में बैठकर चला रहे हैं। इतना मितव्ययी प्रधानमंत्री दुनिया में कोई दूसरा हो तो आप हमें बताइयेगा।

यदि आप वाकई में राष्ट्रभक्त हैं तो हमारा मश्विरा है कि तेल की बढ़ती कीमतों का रोना छोड़िये, उत्स्व मनाइये कि देश में भले कीमतें बढ़ीं हों लेकिन तेल का संकट कहीं नहीं है। दाम कुछ भी लगें लेकिन आपको पूरब से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण टक्क हर पांच मील पर तेल मिलेगा। यानि जित देखो, तित तेल। अब मर्जी है आपकी कि आप तेल जलाएं या तेल लगाएं। तेल के तमाम उपयोग हैं हमारे जनजीवन में।

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