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दंगाई राजनीति: 80-20 के नारे पर अमल करती कर्नाटक-MP की सरकारें

कर्नाटक में हिज़ाब को लेकर उठे विवाद और नफरत की राजनीति पर पत्रकार-लेखक राकेश कायस्थ की फेसबुक पोस्ट।

भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जहां लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकारें सारा काम छोड़कर गृहयुद्ध भड़काने की कोशिशों में जुटी हैं। बीजेपी-आरएसएस के भावी पीएम और यूपी के मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ ने 80 बनाम 20 का जो नारा दिया है, उसपर अमली जामा पहनाने में कर्नाटक से लेकर मध्य-प्रदेश तक की सरकारें जुटी हुई हैं।

अस्सी बनाम बीस यानी धर्म के आधार पर स्थायी सामाजिक विभाजन। एक ऐसा समाज जहां एक हिंदू अनिवार्यात:अपने मुसलमान पड़ोसी को शत्रु के रूप में देखे। आखिर अस्सी और बीस पर इतना ज़ोर क्यों है? ऐसा इसलिए है ताकि तमाम उत्तरदायित्वों से परे अनंत काल तक सत्ता पर कब्जा जमाया जा सके। सत्ता तो ठीक है लेकिन उसका करेंगे क्या? वही जो पिछले सात साल में किया है।

कर्नाटक के बाद मध्य-प्रदेश से भी ख़बर आई है कि वहां की सरकार ने हिजाब में कॉलेज आने वालों को रोकने का फैसला किया है। ज़रा कर्नाटक से आ रही तस्वीरों पर गौर कीजिये। कॉलेज जा रही एक अकेली लड़की और उसे घेरकर नारेबाजी करते बजरंग दल-वीएचपी के सैकड़ों गुंडे। जल्द ही आपको ऐसी तस्वीरें मध्य प्रदेश और देश के बाकी हिस्सों से भी देखने को मिल सकती हैं।

अगर आपमें थोड़ी सी भी इंसानियत बाकी है तो ये तस्वीरें देखकर आपको शर्म से गड़ जाना चाहिए। आनेवाले दिनों में ये तस्वीरें पूरी दुनिया में भारत की थू-थू करवाएंगी। बहुत संभव है कि भारत से बाहर रहकर खरबों रूपये भेजने वाले अप्रवासियों को भी इन कुकृत्यों की आंच झेलनी पड़े, लेकिन सरकार को इन बातों से क्या।

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सबकुछ सुनियोजित तरीके से चल रहा है। आरएसएस के सहयोगी संगठन और दूसरे तमाम चंगू-मंगू उत्पात मचाते हैं और देवता की तरह प्रकट होकर मोहन भागवत कहते हैं– `ऐसा करने वाले हिंदू नहीं हो सकते।’ आतंकवाद की आरोपी साध्वी प्रज्ञा को बीजेपी सांसद बनाती हैं। साध्वी जी सुबह शाम गाँधी को गाली देती हैं और चरखा पकड़कर फोटो खिंचाने वाले ढपोरशंख कहते हैं– मैं कभी मन से माफ नहीं कर पाउंगा।

बीजेपी-आरएसएस का पूरा आचरण ठगों के किसी गिरोह से अलग नहीं है। जहाँ एक ठग फुसलाता है, दूसरा लूट लेता है और तीसरा कंधे पर हाथ रखकर कहता है, ये तो बहुत अनर्थ हो गया। दंगाई राजनीति अपने सबसे वीभत्स और नंगे रूप में है। समाज में विघटन और टूटन की प्रक्रिया जारी है। नफरत का नशा इस तरह सिर चढ़कर बोल रहा है कि लोग परिवार और करीबी दोस्तों के व्हाट्एस एप ग्रुप तक में मुसलमान ढूंढ रहे हैं।

देश में जो कुछ चल रहा है, उसका नुकसान वर्तमान ही नहीं बल्कि आनेवाली पीढ़ियों तक को भुगतना पड़ेगा।

(पत्रकार-लेखक राकेश कायस्थ की फेसबुक वॉल से साभार)

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