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सियासत में सक्रिय नेता पुत्र, भाजपा-संघ का सोचा समझा प्लान

प्रदेश के सीनियर और दिग्गज नेता अब अपने पुत्रों को राजनीति का ककहरा सिखाने का काम कर रहे हैं।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव, जयंत मलैया और अन्य भाजपा नेता युवा पीढ़ी को अवसर देने के संघ और पार्टी के प्लान को लगता है बहुत अच्छे से समझ गए हैं। इसीलिए प्रदेश के दिग्गज नेता अब अपने पुत्रों को राजनीति का ककहरा सिखाने का काम कर रहे हैं।

राजनीति की पाठशाला में शिवराज सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव जयंत मलैया ही नहीं बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, मालिनी गौड़, विजय शाह ,तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी के पुत्र भी सक्रिय हो चुके हैं।

इस लंबी फेरहिस्त को देख लगता है कि यह सभी नेता और उनके पुत्र संघ और भाजपा की उस मंशा को पूरा कर रहे हैं। जिसमें कि अब नए और युवा पीढ़ी को बागडोर देने की देने का खाका तैयार किया गया है।

सूबे की सियासत में इस समय सबसे ज्यादा सक्रिय नेता पुत्र कार्तिकेय चौहान हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय अब अपने पिता के गृहक्षेत्र से निकल पूरे राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। हाल ही में हुए उपचुनाव में वे राजगढ़ और ग्वालियर में सक्रिय रहे थे। यहां युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय दिखे कार्तिकेय बीते सप्ताह मालवा अंचल में भी दिखाई दिए। अब वे बुंदेलखंड में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। हाल ही में कार्तिकेय मालथौन में मंत्री भूपेंद्रसिंह के बेटे अभिराज सिंह के साथ एक कार्यक्रम में नजर आए।

क्यों सक्रिय हैं नेता पुत्र

नए वोटर और युवाओं को अब भारतीय जनता पार्टी का कोर वोटर माना जाता है। संघ और भाजपा इन वोटर्स को लुभाने के लिए अब युवाओं पर ही दांव लगाने की योजना पर आगे बढ़ चुके हैं। राष्टवाद हिंदुत्व जैसे मुद्दे पर युवाओं का भाजपा को जबर्दस्त समर्थन भी मिल रहा है। ऐसे में नेता पुत्रों के लिए जमीन भी तैयार है। देखना यह है कि नेता पुत्र इस जमीन पर अपनी जड़ें किस जमाने में किस हद तक पफल होते हैं।

2023 होगा अहम

भारतीय जनता पार्टी के इन नेता पुत्रों के लिए 2023 विधानसभा चुनाव अहम साबित होंगे। पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तो अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय को 2018 में ही टिकट दिला कर विधायक बनवा चुके हैं। इसके अलावा 2018 में सांची में गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित भी चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब 2023 में गौरीशंकर शेजवार, गोपाल भार्गव और स्वयं शिवराज के बेटे चुनावी मैदान में नजर आ सकते हैं।

सवालों का जवाब होगी सक्रियता
भाजपा हमेशा ही वंशवाद को लेकर कांग्रेस पर आक्रामक रही है। ऐसे में नेता पुत्रों की राजनीति पर सवाल न उठे इसलिए अभी से नेता पुत्र जनता के बीच नजर आ रहे हैं। जिससे ये जवाब दिया जा सके कि इन नेता पुत्रों ने सियासत में अपनी जगह मेहनत कर बनाई है न कि अपने पिता की राजनीतिक विरासत के कारण।

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