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क्या CM शिवराज की बात को गंभीरता से नहीं ले रहे अधिकारी?

सख्त छवि बनाने के जतन कर रहे सीएम शिवराज, निर्देशों को धरातल पर उतारने में कोताही बरत रहे अधिकारी।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौथे कार्यकाल में अपनी छवि को उदार से सख्त बनाने के तमाम जतन करते नजर आ रहे हैं। इस बीच लगातार ऐसे घटनाक्रम ऐसे सामने आ रहे हैं जो यह बता रहे हैं कि सीएम शिवराज सिंह चौहान की बात को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। बार-बार सामने आ रही यह स्थिति प्रदेश के लिए सुखद नहीं कही जा सकती है।

गुरुवार को मुख्यमंत्री नगरीय भू अधिकार पत्र योजना के ऑनलाइन कार्यक्रम में भी ऐसा घटनाक्रम सामने आया। ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस के बीच में ही सीएम शिवराज ने उनकी बात को गंभीरता से न लेने पर बुरहानपुर कलेक्टर को टोक दिया था। सीएम ने कहा था कि बुरहानपुर कलेक्टर इधर उधर मुंडी न हिलाएं। सामने देखें। प्रवीण (बुरहानपुर कलेक्टर) जब मैं बोल रहा हूं तो तुम्हें बात करने का अधिकार नहीं। हालांकि शिवराज जिन्हें कलेक्टर प्रवीण सिंह समझ डपट रहे थे वे एसडीएम काशीराम थे।

अब एसडीएम पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई हो सकती है लेकिन इतना तय हो गया कि सीएम की काॅन्फ्रेंस में तक शामिल अधिकारी भी सीएम की बात को कान लगाकर नहीं सुन रहे हैं। कांग्रेस ने इस घटनाक्रम पर कटाक्ष भी किया है। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने लिखा कि-यह तो गंभीर अनुशासनहीनता है… ऐसे अधिकारी पर तो कार्यवाही होना चाहिए जो मुख्यमंत्री जी को ही गंभीरता से नही ले रहा, जनता को ऐसे अधिकारी क्या समझते होंगे, समझा जा सकता है।

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एक अन्य घटनाक्रम प्रदेश में व्याप्त जलसंकट का लेकर भी सामने आया है। बुधवार को ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को राजधानी भोपाल में जलसंकट को देख अपना काफिला रोकना पड़ा था। सीएम शिवराज ने मौके से ही नगर निगम कमिश्नर को फोन कर आधे घंटे में पानी का इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। बड़ी बात यह है कि भोपाल में निगम अधिकारियों की लापरवाही के चलते पांच दिन से जलआपूर्ति प्रभावित रही थी।

यह घटनाक्रम इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रदेश में जलसंकट को लेकर बीते 25 अप्रैल को ही सीएम शिवराज ने सुबह साढ़े छह बजे हाईलेवल मीटिंग ली थी। इस मीटिंग के बाद शाम तक प्रदेश में जलसंकट के निराकरण का रोडमैप अधिकारियों से मांगा गया था। सुबह साढ़े छह बजे हुई इस मीटिंग की जमकर चर्चा हुई थी। चर्चा इसलिए भी हुई थी कि सीएम शिवराज अपने गृहक्षेत्र में जलसंकट की स्थिति से रूबरू होकर देर रात सीएम हाउस पहुुंचे थे। दूसरे दिन सुबह साढ़े छह बजे ही उन्होंने अधिकारियों को बुला लिया था।

अब इस मीटिंग को करीब एक महीना हो चुका है लेकिन प्रदेश भर से जो खबरें आ रही हैं वह यह बताने के लिए काफी हैं कि प्रदेश में जलसंकट की स्थिति कमोबेश वैसी ही बनी हुई है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि सीएम शिवराज के निर्देशों को धरातल पर उतारने में अधिकारी कोताही बरत रहे हैं और सीएम को खुद इस असहज से दो चार होना पड़ रहा है।

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