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असंतुष्टों को ही असंतुष्टों की जिम्मेदारी, BJP की रणनीति या लाचारी?

विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की लगातार बढ़ती दिख रही मुश्किलें

भोपाल (जोशहोश डेस्क) आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। पार्टी के अंदरखाने में असंतोष के स्वर लगातार बुलंद हो रहे हैं। अब यह स्वर सार्वजनिक रूप से सुनाई और दिखाई भी पड़ने लगे हैं। बड़ी बात यह है कि असंतोष के इन स्वरों को साधने की ज़िम्मेदारी भी पार्टी के उन दिग्गज नेताओं को सौंपी गई है जो खुद ही असंतुष्ट बताये जाते हैं।

पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया की एंट्री और पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर हुए बदलाव से यह स्थिति निर्मित हुई है। अब आलम यह है कि पार्टी में एक बड़ा वर्ग ख़ुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। इनमें सिंधिया गुट के नेताओं के कारण उपेक्षित युवा नेता हैं तो पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर साइडलाइन किए गए थे दिग्गज नेता भी शामिल हैं।

चुनावी रणनीति के तहत पार्टी संगठन की संभागवार बैठकों में असंतुष्टों के साधने की जिम्मेदारी जिन नेताओं को दी गई है उनमें कैलाश विजयवर्गीय, सत्यनारायण जटिया, राकेश सिंह, प्रभात झा, लाल सिंह आर्य, कृष्ण मुरारी मोघे, माखन सिंह, जय भान सिंह पवैया, राजेंद्र शुक्ला और माया सिंह जैसे नाम हैं। इन सब नेताओं के दर्द भी समय-समय पर सामने आते रहे हैं। सियासी गलियारों में ये सभी नाम भाजपा में उपेक्षित ही कहे जाते हैं।

ऐसे में यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि जो नेता खुद ही पार्टी में असंतुष्ट हैं वह क्या सच में असंतुष्टों को मना पाएंगे या उल्टा भाजपा को नुकसान पहुंचाने की दिशा में काम करेंगे। यह माना जा रहा है है कि भारतीय जनता पार्टी में एक बड़ा वर्ग खड़ा हो गया है जिसे लगने लगा है कि सरकार रहने का उनको कुछ भी फायदा नहीं मिला यही कारण है कि जमीनी कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेताओं तक यह भाव अब पैदा हो गया है कि पार्टी अब कुछ ही लोगों की बपौती है और वही लोग निर्णय करते हैं।

यह भाव अब खुलकर सामने भी आ रहा है। हाल ही में इंदौर में संभाग स्तर की बैठक में न बुलाये जाने पार्टी के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत का गुस्सा फूट पड़ा था। उन्होंने मीडिया से दो टूक कहा था कि दो-तीन लोग पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड की तरह चला रहे हैं। शेखावत का यह भी कहना था कि पिछले चुनाव में पार्टी ख़िलाफ़ काम करने वालों को कोई सख़्त कार्रवाई नहीं हुई जिन्होंने पार्टी के ख़िलाफ़ की है उन पर कार्रवाई करने की बजाय उन्हें उपकृत किया जाता है

ऐसा भी नहीं कि भारतीय जनता पार्टी में पनप रहा यह असंतोष पार्टी हाईकमान की नजरों में नहीं है। पार्टी आलाकमान इससे निपटने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है लेकिन परिस्थितियां इस तरह निर्मित होती जा रही हैं कि जितना संभालते हैं उतना ही मामला बिगड़ता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि पुराने नेता जहां अपना टिकट सुनिश्चित कराना चाहते हैं वहीं पार्टी बार-बार यह कह रही है कि अब वह नए लोगों को मौका देगी। इस तरह से नए और पुराने नेताओं में अलग तरह की प्रतिद्वंदिता दिखने लगी है।

इसके अलावा सियासी गलियारों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और अन्य कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती हुई खाई की भी चर्चा है। साथ ही पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर पूरा भरोसा जताने के मूड में है लेकिन पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अब शिवराज सिंह को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं जिसका चुनावी तैयारियों पर असर दिखाई भी दे रहा है।

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