सिद्धा पहाड़ बचाने कांग्रेस ने संभाला मैदानी मोर्चा, बड़े आंदोलन की तैयारी
कांग्रेस के वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ ने गुरुवार को सिद्धा पहाड़ पर दिया धरना, 3 सितम्बर को बड़ी बैठक
सतना (जोशहोश डेस्क) प्रदेश सरकार द्वारा सतना में राम वन गमन पथ पर स्थित स्थित सिद्धा पहाड़ को खोदने की प्रक्रिया प्रारंभ किये जाने के विरोध में अब कांग्रेस ने मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। कांग्रेस के वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ ने गुरुवार को सिद्ध पहाड़ पहुंचकर धरना दिया। वहीं पहाड़ के खनन के विरोध में बड़े आंदोलन के लिए रणनीति तैयार करने शनिवार को कांग्रेस महत्वपूर्ण बैठक करेगी।
आस्था के केंद्र सिद्धा पहाड़ को खोदने के विरोध में कांग्रेस के वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ ने गुरुवार को सिद्ध पहाड़ पहुंचकर धरना दिया। प्रकोष्ठ के संरक्षक एवं रिटायर्ड आईएफएस डॉ एसपीएस तिवारी ने कहा है कि भगवान श्रीराम जी की स्मृतियों से भाजपा सरकार खिलवाड़ कर रही है और कांग्रेस इसे बर्बाद नहीं होने देगी। उन्होंने सिद्धा पहाड़ को बचाने आंदोलन का ऐलान भी किया।
सिद्ध पहाड़ को खनिज उत्खनन से बचाने के लिए कांग्रेस की एक बड़ी बैठक आगामी शनिवार को होगी। बैठक में आंदोलन को बड़े पैमाने पर शुरू करने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। कांग्रेस प्रदेश ईकाई के बड़े नेता भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं।
कमलनाथ ने लिखा था कि खुद को धर्मप्रेमी बताने वाली शिवराज सरकार अपने व्यावसायिक हितों के लिये लगातार धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ वाले निर्णय लेती आयी है।अब मध्यप्रदेश के सतना में स्थित सिद्धा पहाड़ जो कि राम वन गमन पथ पर स्थित है, जहाँ पर प्रभु श्री राम ने इस भूमि को निशाचरो से मुक्त करने की प्रतिज्ञा ली थी, उस पहाड़ को खनन हेतु खोदने की शिवराज सरकार ने प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। भगवान राम के नाम का राजनीति के लिये उपयोग करने वाली भाजपा सरकार अब उनके अवशेषों को सुनियोजित तरीक़े से नष्ट करने का काम कर रही है। कांग्रेस इस पर चुप नहीं बैठेगी , जन आस्थाओं के विरोधी इस निर्णय के विरोध में हम सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेंगे और भगवान श्री राम की यादों से जुड़े इस पहाड़ को नष्ट व ख़त्म नहीं होने देंगे।
गौरतलब है कि रामचरित मानस में अरण्य कांड में उल्लेख है कि भगवान राम जब चित्रकूट से आगे की ओर बढ़े तो सिद्धा पहाड़ मिला। यह पहाड़ अस्थियों का था। तब राम को मुनियों ने बताया कि राक्षस कई मुनियों को खा गए हैं और यह अस्थियां उन्हीं मुनियों की हैं। भगवान राम ने यहीं पर राक्षसों के विनाश की प्रतिज्ञा ली थी।