MP चुनाव: 20 साल में पहली बार कांग्रेस का संगठन ग्राउंड लेवल पर BJP से मजबूत नज़र आ रहा
मजबूत संगठन से मुकाबले के लिए संगठन को मजबूत करने की रणनीति
![mp assembly election 2023: Good news for Congress and big loss for BJP](https://joshhosh.com/wp-content/uploads/2023/08/kamalnath-2-700x470.jpg)
भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में मजबूत संगठन और मजबूत चेहरों के बाद भी भाजपा को कांग्रेस इस बार कड़ी टक्कर देती नज़र आ रही है। सियासी जानकार और तमाम ओपिनयन पोल कांग्रेस को चुनावी मुकाबले में अब तक बढ़त देते दिखाई दे रहे हैं। इसका कारण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा मजबूत संगठन से मुकाबले के लिए संगठन को मजबूत करने की रणनीति बताया जा रहा है।
कमलनाथ की इस रणनीति के चलते ही इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पिछले दो दशक में पहली बार ग्राउंड लेवल पर बेहद मजबूत नजर आ रही है। कांग्रेस ने पहली बार लगभग 63 हजार बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए हैं। साथ ही 4500 मंडल और 13400 सेक्टरों में कार्यकर्ताओं की एक्टिव मोड पर रखा है। चुनाव में पहली बार ऐसा होगा जब बीएलए से लेकर मंडल, सेक्टर तक में कांग्रेस के कार्यकर्ता तैनात होंगे। जिनकी मॉनिटरिंग के लिए जिले में संगठन मंत्री की नियुक्ति भी की गई है।
यही नहीं कांग्रेस ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को पूरी चुनावी रणनीति में प्राथमिकता दी है। यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भाजपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं तक के सामने ही यह जता चुके हैं कि उन्हें टिकट केवल उसी सूरत में दिया जाएगा जब स्थानीय संगठन का फीडबैक उनके पक्ष में होगा।
इस विधानसभा चुनाव के लिए कमलनाथ को आलाकमान ने फ्री हैंड दिया हुआ है। कमलनाथ भी बेहद सधे हुए तरीकों से चुनावी रणनीति को अंजाम दे रहे हैं। कमलनाथ ने कैडर बेस पार्टी भाजपा और उसके पीछे मजबूती से खड़े आरएसएस से की ताकत को जानते समझते हुए ही जमीनी स्तर पर वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करने पर सबसे अधिक जोर दिया है।
कमलनाथ लगभग हर मीटिंग में यह बात पूरी ताकत से दोहराते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस संगठन सबसे मजबूत है तो इसका कारण वे खुद नहीं बल्कि ब्लाक कांग्रेस, मण्डलम, सेक्टर के सदस्य और ब्लाक मण्डल सेक्टर के कार्यकर्ता हैं। सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ, सेक्टर और मंडलम की कार्यप्रणाली की मॉनिटरिंग भी जिलेवार संगठन मंत्री कर रहे हैं। इनके फीडबैक के आधार पर ही मंडलम और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों की विदाई और तैनाती तय हो रही है।
कमलनाथ ने ख़ास रणनीति के तहत लगातार हार वाली 66 सीटों पर भी फोकस किया है। इस सीटों के विश्लेषण और रिपोर्ट की जिम्मेदारी कमलनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सौंपी थी। इन सीटों की रिपोर्ट अब कमलनाथ तक पहुँच चुकी है। कमलनाथ ने अब अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित 35 सीटों पर फोकस कर दिया है। दिग्विजय सिंह इन सीटों पर सक्रिय हो चुके हैं।
कमलनाथ की प्लानिंग और मेनेजमेंट ने प्रदेश के अंचलों में बड़ी नेताओं को जिम्मेदारी देकर सक्रिय कर दिया है। इसका नतीज़ा यह हो रहा है कि पार्टी में गुटबाज़ी और असंतोष के स्वरों के स्थान पर एकजुटता की आवाज बुलंद हो रही है। आलाकमान से बेहतर समन्वय भी पार्टी को मजबूत कर रहा है। प्रदेश के मुद्दों को जिस तरह शीर्ष स्तर पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उठा रहे हैं उससे न सिर्फ शिवराज सरकार बल्कि भाजपा का प्रदेश संगठन भी असहज दिखाई दे रहा है।