खाद्य पदार्थों पर GST, आयकर के पूर्व चीफ कमिश्नर ने विरोध में खोला मोर्चा
पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आमजन से भी विरोध में साथ जुड़ने की अपील की है।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) जीएसटी कॉउंसिल के फैसले के बाद अब पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ जैसे आटा, पनीर और दही भी पांच प्रतिशत जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। वहीं 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले अस्पताल के कमरों पर भी जीएसटी देना होगा। इस फैसले का तीखा विरोध भी हो रहा है। MP-CG सर्किल के पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त आरके पालीवाल ने भी खाद्य पदार्थों पर जीएसटी का खुलकर विरोध किया है।
पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आमजन से भी विरोध में साथ जुड़ने की अपील की है। उन्होंने लिखा कि-
अब खाद्य पदार्थों और अस्पताल के कमरों पर भी जी एस टी टैक्स:
अंग्रेजों ने नमक पर टैक्स लगाया था जिसके विरोध में गांधी ने ऐतिहासिक दांडी मार्च किया था जिससे तत्कालीन सरकार की चूलें हिल गई थी। अब वर्तमान सरकार खाने और स्वास्थ सुविधा पर टैक्स लगाकर आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। ऐसा करके सरकार शायद ऐतिहासिक भूल कर रही है। हम खाद्य पदार्थों और स्वास्थ्य सुविधाओं पर टैक्स का कड़ा विरोध करते हैं। यदि आप भी हमारी तरह सोचते हैं तो इस मुहिम को राष्ट्र व्यापी बनाएं। यही समय है आगे आएं।
पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त आरके पालीवाल की इस अपील को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिल रहा है।
विपक्ष भी इसे लेकर सरकार पर हमलावर है। संसद में भी विपक्ष दलों ने GST दरों में बढ़ोतरी और अग्निपथ योजना समेत कई मुद्दों पर सरकार को आड़े हाथ लिया है। इन मुद्दों पर चर्चा की मांग भी सदन में की गई है जिस पर हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।
इधर तीखे विरोध को देखते हुए वित्त मंत्री वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार का पक्ष रखा है। उन्होंने ट्वीट कर बताया है कि दाल, चावल, आटा और सूजी जैसे खाद्य पदार्थ अगर बिना पैकिंग और लेबल के बेचे जाएं तो उनपर किसी भी तरह का जीएसटी चार्ज नहीं लगेगा। अगर इन चीजों को पैकिंग में लेबल के साथ बेचा जाता है तो इन पर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूल की जाएगी।