कमलनाथ ने कहा- मीडिया पर दबाव अघोषित इमरजेंसी
इंदौर (जोशहोश डेस्क) पत्रकारिता के कई दौर रहे हैं। आज अपने देश में पत्रकारिता एक दोराहे में खड़ी है। मीडिया पर दबाव डाला जा रहा है। ये अघोषित इमरजेंसी है। यह बात रविवार को भारतीय पत्रकारिता महोत्सव 2021 कार्यक्रम में पहुंचे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने कही। इस कार्यक्रम में कमल नाथ पत्रकारों के बीच आज के दौर की पत्रकारिता पर बात रख रहे थे।
उन्होंने टेक्नॉलाजी की बात करते हुए कहा कि – किसी ने सोचा नहीं था कि इतना परिवर्तन आएगा। सोशल मीडिया जिससे पहले सिर्फ 25 प्रतिशत लोग जुड़े हुए थे, अब 95 प्रतिशत लोग इससे जुड़ गए हैं। राजनीति तो इससे प्रभावित हुई है लेकिन एक नया मोड़ पत्रकारिता के सामने भी आया है। आज ये बहुत बड़ी चुनौती है कि इसे कैसे अपनाएं।
मीडिया की स्वतंत्रता
कमल नाथ ने मीडिया की स्वतंत्रता की बात करते हुए कहा कि – हमारे सामने जो दूसरी चुनौती हैं वो है मीडिया की स्वतंत्रता। ये सब जानते हैं कि आज कैसे पत्रकारिता को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ये सब जानते हैं कि विज्ञापन की आवश्यकता है। मुझे एक बड़े मीडिया हाउस के मालिक ने कहा है कि 80 प्रतिशत हमारी रिवेन्यू सरकार से आती है, हम क्या करें? मैंने कहा इसका मतलब आप सरकारी कर्मचारी बन जाओ। अगर आप खुद ही स्वीकार कर रहे हैं कि 80 प्रतिशत आप के विज्ञापन आते हैं सरकार से तो आप शासकीय कर्मचारी हैं।
कमल नाथ ने आज के समय को बताया अघोषित इमरजेंसी
उन्होंने इमरजेंसी को याद करते हुए कहा कि ये आज जो चुनौती है इसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। मैं ये मानता हूं कि इमरजेंसी में ऐसी स्थिति थी लेकिन तब घोषित था की सेंसरशिप है। मैं खुद इंडियन एक्सप्रेस के बोर्ड का मेंबर हुआ था। तब गोयनका जी को हार्टअटैक आया तब मैंने उनसे कहा कि मैं आपको बिना कोई बोर्ड मीटिंग नहीं होने दूंगा। जो करना है आपके सामने करूंगा। लेकिन वो घोषित सेंसरशिप थी पर आज प्रश्न पूछने वालों को बुला के पूछा जाता है। मुझे एक चैनल हेड ने कहा कि हमने आपका लाइव दिखा दिया था तो हमसे प्रश्न पूछा गया था कि आपने लाइव क्यों दिखा दिया। अब इसका क्या जवाब दें। ये अघोषित सेंसरिशिप है ये जो दवाब चल रहा है ये हमारे प्रजातंत्र को कहा ले जाएगा? भारत की पहचान उसके प्रजातंत्र से है और बड़े शान से हम कहते हैं कि हम विश्व की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी हैं। लेकिन आज मीडिया पर दबाव बनाने का काम किया जा रहा है।
जनता पर जताई उम्मीद
उन्होंने जनता से उम्मीद जताते हुए कहा कि – मुझे तो इसमें विश्वास है कि हमारे देश की जनता बहुत समझदार है। 77 में इंदिरा गांधी जी को भी इन्होंने घर बैठा दिया था। 77 का चुनाव हुआ तब इमरजेंसी लागू थी इमरजेंसी तो चुनाव के बाद हटाई गई। ये अपना देश है। तो हम इससे निराश होएं? मैं निऱाश होने वालों में से नहीं हूं। क्योंकि सबसे बड़ी गवाह अंत में जनता है और जो जागरूकता आज की जनता में है। आज की जो नई पीढ़ी जिनकी दुनिया ही अलग है। आज की नई पीढ़ी जिनको आप ज्ञान दिया करते थे। ये आज आप को ज्ञान देने की स्थिति में आ गई है। ये मीडिया की राजनीति कुछ समय तक चल सकती है पर अंत में जनता बहुत समझदार है। और जो 77 में समझदार नहीं थी उससे ज्यादा आज समझदार है। तो इसलिए में इससे निराश नहीं होता। पर अंत में आप सबसे ऊपर हैं कि कौनसा रास्ता अपनाना चाहते हैं। आप सब को इसका मुकाबला करना है।
भाजपा पर लगाया गुमराह करने का आरोप
उन्होंने मीडिया और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि – आप कहां तक देश को गुमराह करेंगे। कहां तक आप देश में सबका ध्यान मोड़ेंगे। 2014 की घोषणाओं का 2019 में कोई नामो निशान नहीं। अब पाकिस्तान की बात करते हैं, राष्ट्रवाद की बात करते हैं। जनता का ध्यान भटकाने के लिए। ये ध्यान मोड़ने की राजनीति है। इसमें ये बहुत सफल हैं। हर चीज में ध्यान मोड़ो। राम मंदिर के चंदे की मुहीम चलाओ और पेट्रोल के भाव बढ़ा दो। लोग चंदे की बात कर रहे हैं पेट्रोल के भाव की बात नहीं कर रहे। सुधारना छोड़ो बेचना चालू। शिलान्यास करके ध्यान मोड़ दो।
हमारी देश की संस्कृति जोड़ने की संस्कृति है
अपने संबोधन के अंत में कमल नाथ ने मीडिया की ताकत बताते हुए कहा कि – आप समाज को केवल खबर नहीं शक्ति भी देते हैं। ये आज आप सबके सामने बड़ी चुनौती है। देश का भविष्य हम कैसे सुरक्षित करें। हमारे देश की संस्कृति हम कैसे बचाए। हमारे देश की संस्कृति जोड़ने की संस्कृति है। ऐसा भारत ही एक देश है जिसमें एक झंडे के नीचे इतने धर्म इतनी जातियां इतनी भाषाएं हैं। विश्व में कोई दूसरा ऐसा देश नहीं है। ये भारत की संस्कृति है। इतिहास पढ़िए अशोका के समय से भारत एक सहिष्णु देश है। तो इन सब से मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे मध्यप्रदेश और देश में पत्रकार इस पर गंभीरता से विचार करेंगे या अत्मचितंन करेंगे।