‘लापरवाहों’ को यूका के जहरीले कचरे के निष्पादन की जिम्मेदारी, उठे सवाल
जहरीले कचरे के निष्पादन के टेंडर से जुड़ी अहम बैठक में दो अधिकरियों की मौजूदगी विवादों में। गैस पीड़ित संगठन ने उठाये सवाल।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़े 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे के निष्पादन के टेंडर से जुड़ी अहम बैठक में दो अधिकरियों की मौजूदगी विवादों में आ गई है। दोनों अधिकारियों को कमला नेहरू अस्पताल अग्निकांड में लापरवाही के चलते पदों से हटाया जा चुका है। गैस पीड़ितों के लिए कार्यरत संगठन भोपाल ग्रुप फॉर इंफोर्मेशन एंड एक्शन ने दोनों अधिकारियों को लेकर सवाल उठाये हैं।
संगठन की रचना ढींगरा के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़े 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे के निष्पादन के लिए फाइनेंशियल बिड की बैठक में देवेंद्र तिवारी और केके दुबे भी शामिल हो रहे हैं। केके दुबे को संचालक कमला नेहरू अस्पताल के पद से हटाया गया था और अभी वे गैस राहत विभाग में उप सचिव है। वहीं CPA- गैस राहत देवेंद्र तिवारी भी अग्निकांड के बाद हटाए गए थे।
रचना ढींगरा ने कहा कि कम से कम जब तक इन अधिकारियों के खिलाफ चल रही जाँच पूरी नही हो जाती तब तक तो इन अधिकारियों से तो काम न कराया जाए या फिर सरकार ने पहले से ही तय कर लिया है कि कमला नेहरू अस्पताल अग्नि कांड में हटाए गए CPA गैस राहत और संचालक कमला नेहरू अस्पताल निर्दोष हैं।
गौरतलब है कि साल 1984 में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड से रिसी मिथाइल आइसो साइनेट गैस ने भोपाल को अपनी आगोश में ले लिया था। हजारों की संख्या में मौतें हुई थीं। विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के 37 साल बाद भी सरकार यूनियन कार्बाइड कारखाने के परिसर में दफन जहरीले कचरे को नष्ट नहीं कर पाई है। कई बार इस कचरे को हटाने की कवायद हुई, पर हर बार वक्त के साथ ठंडे बस्ते में चली गई और कारखाने के भीतर 137 मीट्रिक टन और बाहर 200 मीट्रिक टन कचरा आज भी जमा है।