भोपाल की 29 नई कालोनियों का भूजल भी जहरीला, नींद में जिम्मेदार
34 कालोनियों से भूजल के नमूनों में से 29 में और्गनोक्लोरीन रसायनों की मौजूदगी के पुख्ता सबूत।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) विश्व पर्यावरण दिवस से पूर्व गैस त्रासदी के रासायनिक कचरे से भोपाल के भूजल के विषाक्त होने का मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है। संभावना ट्रस्ट क्लिनिक के सदस्यों ने शनिवार को मीडिया से चर्चा में बताया कि 2018 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (भारतीय विषविज्ञान शोध संस्थान) द्वारा चिन्हित 42 कालोनियों के अलावा 29 नई कालोनियों के भूजल में भी जहर फैलने के सबूत मिले हैं।
संभावना ट्रस्ट क्लिनिक के सदस्यों ने बताया कि पिछले एक साल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च द्वारा चिन्हित इलाके से सटी 34 कालोनियों से भूजल के नमूने लेकर उनकी जांच की है । इनमें से 29 नमूनों में और्गनोक्लोरीन रसायनों की मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले हैं। क्लिनिक की लेबोरेटरी टैक्नीशियन महेंद्र कुमारी सोनी ने के मुताबिक़ 29 नमूनों में हमें और्गनोक्लोरीन रसायनों की मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले है।
क्लिनिक की सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता दीपा मंडराई ने बताया कि भोपाल के भूजल में ओर्गनोक्लोरीन रसायनों की निरंतर उपस्थिति और फैलाव इस शहर का दूसरा पर्यावरणीय हादसा है। और्गनोक्लोरीन लम्बे समय तक अपनी विषाक्तता बनाए रखते हैं और शरीर में इकट्ठा होते जाते हैं। साथ ही कैंसर तथा जन्मजात विकृति के साथ साथ मस्तिष्क, जिगर और गुर्दे के साथ रोग प्रतिरोधक, अन्तःश्रावी प्रजनन, एवं अन्य तंत्रो को नुकसान पहुँचाते हैं।
संभावना के सामुदायिक शोधकर्मी राधे लाल नापित ने बताय कि यूनियन कार्बाइड के लापरवाही से फेंके गए जहरीले कचरे और इससे हो रहे भूजल प्रदूषण की किसी को भी परवाह नहीं है। हजारों टन जहरीला कचरा कारखाने के अंदर व आसपास की जमीन के नीचे दबा पड़ा है। प्रदूषित क्षेत्र नए पीड़ितों की तलाश में फैलता जा रहा है और भोपाल में और्गनोक्लोरीन से पीड़ितों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि 2-3 दिसंबर 1984 की रात को यूका से मिथाइल आइसो साइनेट (मिक) गैस का रिसाव हुआ था। इसके कारण हजारों लोगों की मौत हो गई थीं। ये सिलसिला अब भी जारी हैं। गैस पीड़ित संगठनों का दावा है कि यूका कारखाने में 20 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा जहरीला कचरा पड़ा है। यह कचरा जल स्त्रोतों में भी कई बारिशों के चलते घुल चुका है। भूजल में पहुंच चुका है। यूका कारखाना के गोदाम में रखे जहरीले कचरे में तमाम कीटनाशक रसायन और लैड, मर्करी,आर्सेनिकआदि मौजूद हैं। कचरे में शामिल कीटनाशकों और रसायनों का असर अभी कम नहीं हुआ है।