MP

MP चुनाव: क्या ‘नाराज’ भाजपा को मनाने में अमित शाह भी हो रहे ‘नाकाम’?

गृहमंत्री अमितशाह की प्रदेश में मौजूदगी के बाद भी भाजपा में थमता दिखाई नहीं दे रहा असंतोष

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन तक भाजपा में बगावती तेवर दिखाई दे रहे हैं। बड़ी बात यह है कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह की प्रदेश में मौजूदगी के बाद भी भाजपा में असंतोष थमता दिखाई नहीं दे रहा है और नाराज भाजपाई मानने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।

प्रदेश में भाजपा की चुनाव कमान अमित शाह ने अपने हाथों में ले रखी है। पार्टी में बड़े पैमाने पर उठे बगावती सुरों को शांत करने वे तीन दिवसीस दौरे पर मध्यप्रदेश में हैं। उनकी मौजूदगी में भी प्रदेश में बागी पार्टी को साइडलाइन कर नामांकन तक भर रहे हैं। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि अब नाराज भाजपा को मनाने में अमित शाह भी नाकाम हो रहे हैं।

अमित शाह की प्रदेश में मौजूदगी के बीच ही धार में भाजपा से नीना वर्मा के टिकट का विरोध कर रहे पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव यादव ने रविवार को रैली निकाली। सोमवार को वे निर्दलीय नामांकन भी जमा कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो नीना वर्मा के लिए इस सीट पर मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।

वहीं केंद्रीय मंत्री अमित शाह की बैठक के एक दिन बाद ही रविवार सुबह जबलपुर में भाजपा नगर जिलाध्यक्ष प्रभात साहू ने पद से इस्तीफा दिया। हालाँकि वे कार्यकर्ता की हैसियत से पार्टी का काम करने की बात कह रहे हैं। प्रभात साहू के अलावा जबलपुर उत्तर सीट से एक अन्य दावेदार और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष भाजपा के पार्षद कमलेश अग्रवाल ने पर्चा भरने की घोषणा की है।

इधर भाजपा को गुना सीट पर भी प्रत्याशी घोषित करते ही बगावत का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा ने गुना सीट पर 6 बार के विधायक गोपीलाल जाटव का टिकट काटकार 73 साल के पूर्व विधायक पन्नालाल शाक्य को प्रत्याशी घोषित किया है। इसके बाद गुना सीट पर सिंधिया खेमे से दावेदारी कर रहे नीरज निगम सोमवार को रैली के साथ नामांकन भरने जाएंगे।

भाजपा को करीब 50 से ज्यादा सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी आलाकमान पहले ही चुनाव को अपने हाथों में ले चुका है। ऐसे में बागियों की सुनवाई प्रदेश स्तर पर हो ही नहीं पा रही है। कहा जा रहा है कि आलाकमान की आड़ लेकर पार्टी के प्रदेश स्तर के नेता भी बागियों को कोई आश्वासन दे रहे हैं। यही कारण है कि नाराजगी का दौर लंबा होता जा रहा है। ऐसे में चुनाव से पहले प्रचलित वाक्य शिवराज भाजपा, महाराज भाजपा और नाराज़ भाजपा अब हकीकत बनता दिखाई दे रहा है।

Back to top button