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कार्तिकेय चौहान: उपचुनाव के बाद मालवा में क्यों हुए सक्रिय?

कार्तिकेय ने इंदौर में भले ही यह कहा हो कि 2023 के विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका पार्टी तय करेगी लेकिन उन्होंने बड़े ही सधे अंदाज में प्रदेश स्तर पर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं

भोपाल (जोशहोश डेस्क) धीरे-धीरे सधे हुए तरीक़े से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान अब अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ा रहे हैं। कार्तिकेय की शैली में शिवराज सिंह का गाम्भीर्य और वाक-चातुर्य साफ नजर आ रहा है। रविवार को वे इंदौर में आयोजित युवा महाकुंभ में शामिल हुए |

इंदौर के इस आयोजन के सूत्रधार हालांकि विधायक आकाश विजयवर्गीय थे लेकिन कार्तिकेय को लेकर यहां युवाओं में जबर्दस्त क्रेज दिखाई दिया | कार्तिकेय ने भी मंच से जिस तरह अपने संबोधन में युवाओं से संवाद किया वह बेहद ही प्रभावी रहा | यह तक कहा जा रहा है कि कार्तिकेय ने इस आयोजन के साथ ही मालवाचंल में धमाकेदार एंट्री कर ली है | शिवराज के गृह क्षेत्र विदिशा, रायसेन और सीहोर में तो कार्तिकेय लंबे समय से सक्रिय हैं लेकिन हाल ही में हुए उपचुनाव में कार्तिकेय ने ग्वालियर अंचल में भी चुनावी सभाएं की थीं और अब मालवा में उनकी एंट्री के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं |

कार्तिकेय ने इंदौर में भले ही यह कहा हो कि 2023 के विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका पार्टी तय करेगी लेकिन उन्होंने बड़े ही सधे अंदाज में प्रदेश स्तर पर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं |महाकुंभ के लिए इंदौर जाते वक्त जिस तरह कार्तिकेय का पूरे रास्ते युवा मोर्चा के साथ अलग अलग सामाजिक संगठनों ने स्वागत किया वह यह दर्षा रहा है कि कार्तिकेय भी लंबी रेस के लिए पूरी तरह तैयार हैं| जहां तक मालवाचंल की बात की जाए तो यह प्रारंभ से ही भाजपा का बड़ा गढ़ माना जाता है और कार्तिकेय इस गढ में अपनी प्रभावी मौजूदगी दर्ज कराने में सफल होते हैं तो कार्तिकेय की इस अंचल में स्वीकार्यता प्रदेश की सियासत में कार्तिकेय की स्वीकार्यता साबित होगी

कार्तिकेय यूं तो अपने पिता शिवराज के साथ उनके क्षेत्र में कई बार दिखे लेकिन उनकी राजनीतिक पारी का आगाज बीते विधानसभा चुनाव से पहले साल 2017 मे माना जाता है | विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज अपनी नर्मदा सेवा यात्रा के 100 दिन पूरे होने पर अपने गांव जैत पहुंचे थे यहां आयोजित कार्यक्रम में पहली बार कार्तिकेय को शिवराज ने स्वागत भाषण की जिम्मेदारी सौंपी थी और पहली बार कार्तिकेय को मंच से धाराप्रवाह में बोलते देख शिवराज स्वयं गदगद हो गए थे |

इसके बाद विधानसभा चुनाव में शिवराज की विधानसभा सीट बुधनी की चुनावी जिम्मेदारी साधना सिंह और कार्तिकेय ने ही संभाली| यहां से निखर कर कार्तिकेय ने अपनी सियासी सीमाओं को बढाना प्रारंभ कर दिया | लोकसभा चुनाव के बाद हाल ही में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में कार्तिकेय ग्वालियर राजगढ अंचल की सीटों सक्रिय रहे और चुनावी सभाओं में खासी भीड़ जुटाने में कामयाब भी रहे

आसान नहीं चुनौती
मालवांचल में कार्तिकेय की राह को आसान भी नहीं माना जा रहा| भाजपा के महासचिव और प्रदेश के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय यहां विधानसभा चुनाव के साथ अपने बेटे आकाश के सियासी सफर का आगाज करा चुके हैं| दिग्गज नेताओं के बीच कैलाश विजयवर्गीय को आकाश के टिकट के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी थी| कैलाश विजयवर्गीय को सूबे की सियासत में शिवराज विरोधी खेमे का ही माना जाता है ऐसे में कार्तिकेय के लिए मालावंचल में अपनी पैठ बनाना आसान भी नहीं होगा|

शिवराज के उत्तराधिकारी
शिवराज सिंह का मुख्यमंत्री के रूप में यह चौथा कार्यकाल है| सूबे के सियासी गलियारों में कई बार यह चर्चा हो चुकी है कि शिवराज को केंद्र का बुलावा भी आ सकता है अगर यह देर सबेर यह स्थिति आती है तो प्रदेश में शिवराज की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी निर्विवाद रूप से कार्तिकेय ही होंगे लेकिन यह तभी संभव है जब कार्तिकेय खुद को प्रदेश स्तर पर साबित कर दें और मालवांचल में उनकी एंट्री इसी दिश में एक कदम माना जा रहा है|

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