किसान आंदोलन : बुंदेलखंड में 27 दिनों से खुले आसमान के नीचे हो रहा प्रदर्शन
छतरपुर में चल रहे इस किसान आंदोलन को भले ही शासन और प्रशासन गंभीरता से न ले रहे हों लेकिन इसका असर लोगों पर नज़र आ रहा है। लोग किसानों के लिए मदद जुटा रहे हैं। आसपास के इलाकों में भी इन किसानों के लिए बातें होने लगीं हैं।
छतरपुर (जोशहोश डेस्क) विवादित कृषि कानून को वापस लेने की मांग के साथ स्थानीय छत्रसाल चौक पर किसानों का आंदोलन जारी है। यह आंदोलन अब बुंदेलखंड क्षेत्र के कृषि आंदोलन के रुप में पहचान बना रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर के नेतृत्व में चल रहा है। आंदोलन को 27 दिन हो चुके हैं और किसान विपरीत परिस्थितियों में भी हार मानने को तैयार नहीं हैं।
प्रशासन ने किसानों को किसी भी तरह की सुविधा देने से लगभग इंकार कर दिया है। प्रशासन के इस रवैये को किसानों ने तानाशाही का नाम दिया है। इसके खिलाफ़ किसानों ने सोमवार को एक दिन का उपवास रखा।
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि वे कई बार अपने प्रदर्शन के लिए टेंट लगाने की अनुमति मांग चुके हैं लेकिन प्रशासन जैसे इसे लेकर संवेदनहीन बना हुआ है।
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यही वजह है कि किसान खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं और वे अब बीमार हो रहे हैं। आंदोलन में बैठे चौदह किसान अब तक बीमार हो चुके हैं और यह सिलसिला लगातार जारी है। प्रशासन तक किसानों की इस हालत की खबर लगातार पहुंच रही है लेकिन वे उन्हें कोई राहत देने के लिए राजी नहीं है।
किसानों के मुताबिक प्रशासन में अधिकारी होते हैं जो नियम जानते हैं और जो संविधान की कसम खाते हैं लेकिन दुर्भाग्य से इस बार ये अधिकारी कसमें भूल चुके हैं। अब किसानों से विरोध प्रदर्शन करने का उनका संवैधानिक अधिकार तक छीनना चाहते हैं और इसीलिए इस तरह अनुमति न देकर उनका हौसला तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
किसान आंदोलन के नेतृत्वकर्ता अमित भटनागर ने धरना स्थल पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के काले कानूनों का असर किसानों के साथ-साथ आम जनता भी पड़ने वाला है। इन कृषि कानूनों के बाद किसान अपने खेत पर बंधुआ मजदूर हो जाएंगे, महंगाई बढ़ेगी, साथ ही बेरोजगारी भी तेजी से बढ़ेगी।
छतरपुर में चल रहे इस किसान आंदोलन को भले ही शासन और प्रशासन गंभीरता से न ले रहे हों लेकिन इसका असर लोगों पर नज़र आ रहा है। लोग किसानों के लिए मदद जुटा रहे हैं। आसपास के इलाकों में भी इन किसानों के लिए बातें होने लगीं हैं। इसके अलावा प्रशासन की ओर से किसानों के साथ किया जा रहा व्यवहार भी लोगों की नज़र में आ रहा है। जिससे प्रशासन की छवि काफी हद तक बिगड़ रही है।
धरने में मुख्य रूप से हिसाबी राजपूत, दिनेश मिश्रा, कवि माणिकलाल, प्रेमलाल यादव, राजेन्द्र गुप्ता, बालादीन पटेल, गणेश सिंह, राकेश तिवारी, बिहारी कुशवाहा, साक्षी आदिवासी, मिलन, देवीदीन आदिवासी, नेहा आदि मुख्य रूप से बैठे हुए हैं।
यह लेख देश गांव वेबसाईट से लिया गया है, जिसे शिवेंद्र शुक्ला ने लिखा है।