MP

कोरोनाकाल: क्या हवा-हवाई साबित हो रहीं ‘मददगार’ योजनाएं?

152 पुलिसकर्मियों में से केवल 7 के परिजनों को ही मिला कोरोना योद्धा कल्याण योजना का लाभ।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) कोरोनाकाल में राहत देने शिवराज सरकार ने एक के बाद एक कई घोषणाएं की हैं लेकिन उन पर अमल करना सरकार के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। कोरोना योद्धा कल्याण योजना का भी कमोबेश यही हाल है। आलम यह है कि कोरोना महामारी में डयूटी के दौरान शहीद 152 पुलिसकर्मियों में से केवल 7 के परिजनों को ही अब तक इस योजना का लाभ मिल पाया है।

इस योजना का ऐलान बीते साल 30 मार्च को हुआ था। दूसरी लहर के दौरान एक अप्रैल से 30 मई तक भी इस योजना का लाभ दिया जाना है। मध्यप्रदेश पुलिस के ही 152 जवान कोरोना काल में सेवारत रहते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं लेकिन इनमें से महज 7 के परिजनों को ही अब तक योजना के तहत 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद मिल सकी है।

द क्विंट ने एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक इन पुलिसकर्मियों में से अधिकांश ने इंदौर, भोपाल सागर और जबलपुर में अपनी ड्यूटी के दौरान जान गवाई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी सभी पुलिसकर्मियों को जल्द आर्थिक मदद दिए जाने की मांग की है-

इन पुलिसकर्मियों में से कई ऐसे भी हैं जिनका अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल और राजकीय सम्मान के साथ हुआ है लेकिन अब इनके परिजनों के लिए कोरोना से मौत साबित करना मुश्किल हो रहा है। यहां तक कि जान गंवा चुके कुछ पुलिसकर्मी तो ऐसे हैं जिन्हें स्थानीय कलेक्टर तक ने फ्रंटलाइन वर्कर मानते हुए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने को कहा है लेकिन इसके बाद भी सरकार उन्हें इस योजना का पात्र नहीं मान रही है।

मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा कल्याण योजना के अलावा मुख्यमंत्री कोरोना विशेष अनुग्रह योजना, मुख्यमंत्री कोरोना अनुकंपा नियुक्ति योजना, मुख्यमंत्री कोरोना बाल सेवा योजना के अलावा कोरोना से मौत पर परिजनों को एक लाख रुपए की मदद दिए जाने बनाई गई योजना भी नियमों के पेंच में उलझी है।

अनुकंपा नियुक्ति योजना के तहत अभी एक भी नियुक्ति नहीं दी गई है। वहीं एक लाख रुपए की आर्थिक मदद दिए जाने वाली योजना के तो अब तक नियम ही नहीं बने हैं और न ही इसके तहत आवेदन बुलाए गए हैं।

हालांकि बाल सेवा योजना में स्थिति कमोबेश बेहतर है। महिला बाल विकास विभाग को इसमें करीब चार सौ आवेदन मिले हैं। इनमें से तीन सौ से ज्यादा आवेदन पात्र पाए गए हैं और दो सौ से ज्यादा को सहायता मंजूर की गई है।

Back to top button