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प्रशासनिक कोरोना: PM के महासम्मेलन में 2.5 लाख लोग, मुलताई में मेले बैन

कोरोना पर फिर दिखा प्रशासनिक पक्षपात, पीएम की सभा में भीड़ जुटाने जुटी सरकार, धार्मिक-सामाजिक, सांस्कृतिक महत्व के मेलों पर प्रतिबन्ध।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को राजधानी भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित होने वाले महासम्मेलन में शिरकत करने आ रहे हैं। इस सम्मेलन के लिए ढाई लाख आदिवासियों की मेजबानी की तैयारियां हैं। दूसरी ओर मुलताई में भीड़ जुटने की आशंका के चलते मेलों पर प्रतिबंध के आदेश जारी किये गए हैं। कोरोना को लेकर राज्य सरकार और प्रशासन के इस दोहरे चरित्र पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस ने भी सम्मेलन में आने वाले आदिवासियों की कोरोना सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत ओर जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित होने वाले महासम्मेलन की तैयारियों में प्रदेश सरकार और प्रशासन प्राणपण से जुटा है। तैयारियां भी लगभग अंतिम दौर में हैं। शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरी प्रशासनिक और राजनीतिक टीम के साथ आयोजन स्थल पर तैयारियों का जायजा लिया था।

दूसरी ओर शुक्रवार को ही बैतूल जिले की मुलताई तहसील में लगने वाले मेलों पर प्रतिबंध के आदेश फिर जारी किए गए। कार्यालय अनुविभागीय दंडाधिकारी द्वारा जारी आदेश में संबंधित अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में मेलों पर प्रतिबंध सुनिश्चित करने को कहा गया है।

इस आदेश का सीधा असर यहां देवउठनी ग्यारस के बाद कार्तिक पूर्णिमा से लगने वाले ताप्ती मेला पर पड़ेगा। धार्मिक-सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व वाला ताप्ती मेला बीते दो साल से आयोजित नहीं हुआ है। मेले में लगने वाली अस्थाई दुकानों से बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार मिलता है। हाल ही में स्थानीय व्यापारियों ने मेला आयोजिटी करने तहसीलदार को ज्ञापन भी दिया था। अब मेलों पर प्रतिबन्ध के इस आदेश के बाद सोशल मीडिया में सवाल उठना भी शुरू हो गए हैं-

दूसरी ओर राजधानी में जनजातीय सम्मेलन में भारी संख्या में जुटने वाले आदिवासियों की कोरोना सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट किया कि-

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1459377617849651206?s=20

गौरतलब है कि कोरोनाकाल में पहले भी राजनीतिक और धार्मिक आयोजनों को लेकर प्रशासनिक पक्षपात के उदाहरण सामने आ चुके हैं। हाल ही में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में राजनीतिक दलों की रैलियों और जनसभाएं निर्बाध रूप से चलते रहे। इससे पहले केंद्र सरकार के मंत्रियों की जनादेश यात्राओं में कोरोना गाइड लाइन का खुलकर उल्लंघन हुआ था जिन पर प्रशासन ने आंखें मूंद ली थी लेकिन इस दौरान धार्मिक आयोजनों को लेकर प्रतिबंधात्म्क आदेश जारी रहे।

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