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कृषि कानूनों का असर : MP की 20 प्रतिशत मंडियों की आमदनी जीरो, वेतन तक के लाले

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का नकारात्मक असर मध्यप्रदेश की मंडियों में दिखाई दे रहा है। कानून लागू होने के बाद प्रदेश की 259 में से 49 मंडियों की आमदनी शून्य हो गई है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का नकारात्मक असर मध्यप्रदेश की मंडियों में दिखाई दे रहा है। कानून लागू होने के बाद प्रदेश की 259 में से 49 मंडियों की आमदनी शून्य हो गई है। वहीं करीब 150 मंडियों में कर्मचारियों का वेतन तक नहीं निकल पा रहा है।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जीरो आमदनी वाली मंडियों ने अब अनुदान के लिए सरकार को पत्र लिखा है। रिपोर्ट के मुताबिक 259 में से 67 मंडियों की आय बीते साल की तुलना में 55 से 80 प्रतिशत तक रह गई है। वहीं 143 मंडियों की आमदनी 50 प्रतिशत ही बची है।

जिन मंडियों की आय शून्य हो गई है वह ग्वालियर, रीवा, इंदौर, सागर और जबलपुर संभाग की हैं। ग्वालियर की मेहगाँव, बामौर, जौरा, अंबाह, पिपरई और रन्नौद समेत मंडियो की आय जीरो हो गई। वहीं रीवा में अनूपपुर उमरिया, शहडोल, सीधी, रामनगर, अमरपाटन, कोटमा, बूढा, जैथई, ब्याहारी, अनमना और चरघट मंडियों में आमदनी जीरो है।

इसी तरह इंदौर संभाग की गंधवानी, पेटलावद, थांदला, झाबुआ, हरिराजपुर, सैगांव, जोगट और मूंदी तथा जबलपुर संभाग में पल्हारी, छपरा, अमरवाडा, सहपुरनिवास, कैलारी और चंदसौर मंडियां जीरो इनकम में शामिल हैं।

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आय से अधिक खर्च
मंडियों की आय जितनी अधिक है उससे कहीं ज्यादा इनका खर्च है। भिंड की कृषि मंडी की आय एक जुलाई 2020 से 15 फरवरी 2021 तक करीब 18 लाख है। वहीं मंडी का खर्च करीब 61 लाख रुपए है। इस अवधि में गोहद ही अकेली ऐसी मंडी है जो अपना खर्च निकाल पाई है।

मंडियों के नुकसान में जाने से यहां कार्यरत हम्माल और कर्मचारियों की रोजी रोटी खतरे में आ गई है। यह माना जा रहा है कि यही हालात रहे तो मंडियों पर जल्द ही ताले लग जाएंगे।

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