भोपाल /रीवा (जोशहोश डेस्क) निकाय चुनाव में भाजपा के लिए इस बार प्रदेश के 16 नगर निगमों पर अपना कब्जा बरकरार रखना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है। निकाय चुनाव में पार्टी आलाकमान की सीधी नजर के बाद भी भाजपा अब तक नगर निगम के प्रत्याशियों के नाम तय नहीं कर पाई है। इधर विंध्य क्षेत्र के चार नगर निगमों में भाजपा के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है।
विंध्य के रीवा, सतना, कटनी और सिंगरौली नगर निगम में भाजपा के लिए अपनों से ही खतरा दिखाई देने लगा है। मैहर से भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपने बगावती तेवरों को और बुलंद करते हुए चारों नगर निगम में अपने उम्मीदवार खड़े करने का ऐलान कर दिया है।
भाजपा विधायक नरेंद्र त्रिपाठी लंबे समय से पार्टी लाइन के विपरीत जाकर पृथक विंध्य प्रदेश की मांग के लिए आंदोलन कर रहे हैं। वे अगले विधानसभा में विंध्य क्षेत्र की 30 सीटों पर भी विंध्य पुनर्निर्माण मंच के उम्मीदवार खड़ा करने की बात कह चुके हैं। अब नारायण त्रिपाठी ने विंध्य के चारों नगर निगम में विंध्य पुनर्निर्माण मंच के उम्मीदवारों को उतारने की बात कह भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है।
नारायण त्रिपाठी का ताजा ऐलान इसलिए भी अहम है क्योंकि वे प्रदेश सरकार पर विंध्य की उपेक्षा का लगातार आरोप लगाते आ रहे हैं। चूंकि निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दों की बड़ी भूमिका होती है, ऐसे में विकास कार्यों में विंध्य से पक्षपात एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। प्रदेश में करीब 18 साल भाजपा सरकार को हो चुके हैं और विंध्य के चारों नगर निगम पर भी भाजपा का कब्जा है। ऐसे में विंध्य पुनर्निर्माण मंच के उम्मीदवार भाजपा के लिए चुनावी राह कठिन कर सकते हैं।
ऐसा नहीं कि मुश्किलें केवल भाजपा के लिए ही आएंगी। नारायण त्रिपाठी के उम्मीदवार कांग्रेस के लिए भी मुसीबत का सबब बन सकते हैं। स्थानीय मुद्दों पर नगर और प्रदेश सरकार से नाराज वोटर अगर बंटते हैं तो इसका सीधी नुकसान कांग्रेस को होगा। कुल मिलाकर नरेंद्र त्रिपाठी का विंध्य पुनर्निर्माण मंच चारों नगर निगम के सियासी समीकरण बिगाड़ सकता है।
गौरतलब है कि मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने अलग विंध्य प्रदेश की मांग को बुलंद किया है। हालांकि नारायण त्रिपाठी की विंध्य प्रदेश के लिए सक्रियता भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही है। इस पर पार्टी की ओर से उन्हें तलब भी किया था और त्रिपाठी ने प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के सामने सफाई भी दी थी, मगर उसके बाद भी उन्होंने विंध्य प्रदेश के नारे को बुलंद रखने का अभियान जारी रखा हुआ है।