अब घर के बोर-कुएं से सिंचाई पर भी सरकार को देना होगा टैक्स!
राजपत्र में प्रकाशित सूचना के अनुसार किसान को फसल सींचने के लिए प्रति एकड़/हैक्टेयर तयशुदा राशि जल संसाधन विभाग को देना होगी।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) कभी सूखे तो कभी बाढ़ का सामना करने वाला किसान अब खेत में सिंचाई के लिए बांध, नहर, कुआं, ट्यूबवैल से लिए गए पानी की हर बूँद का भी मोल भी चुकाएगा। किसान को फसल सींचने के लिए प्रति एकड़/हैक्टेयर तयशुदा राशि जल संसाधन विभाग को देना होगी। यहाँ तक कि किसान अगर अपने निजी स्रोत जैसे कुंआ, तालाब, ट्यूबवैल से भी पानी लेता है तब भी उन्हें जल संसाधन विभाग को ये राशि देना होगी।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय और राजपत्र में प्रकाशित सूचना के अनुसार खरीफ सीजन में प्रति हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए बांध, नहर, कुआं, ट्यूबवैल से पानी लेने पर किसानों से 350 रुपए की दर तय कर दी है और किसान इस राशि में अधिकतम 4 बार पानी ले सकता है अगर किसान दोनों सीजन में पानी लेता है तो उसे प्रति हैक्टेयर 550 रुपए का भुगतान करना होगा।
वहीं सब्जी का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति हैक्टेयर 630 रुपए देना होगा जबकि केले, पान, गन्ना, रबर जैसी व्यवसायिक फसल लेने वाले किसानों को प्रति हैक्टेयर 960 रुपए देना होंगे। घास उगाने वालों के लिए यह दर 480 रुपए प्रति हेक्टेयर रहेगा।
रिपोर्ट में जल संसाधन विभाग के अधिकारी के हवाले से यह बताया गया है कि राजपत्र में प्रकाशित सूचना के मुताबिक़ जलाशय, नहर, नलकूप, तालाब से पानी लेने वालों के साथ साथ निजी कुआं नलकूप, तालाब से पानी लेने वालों को भी यह शुल्क देना होगा। यह राशि प्रति घन मीटर के हिसाब से किसानों को देना होगी।
बताया जा रहा है कि पिछले साल राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि प्राकर्तिक जलस्रोतों से कृषि, पेयजल, औद्योगिक या अन्य किसी उपयोग में लिए गए पानी का एक निश्चित शुल्क जलसंसाधन विभाग को सालाना या मासिक जमा करना होगा। यह नियम ताप एवं जल विद्युत परियोजनाओं समेत अन्य सरकारी-गैर सरकारीऔद्योगिक परियोजनाओं पर भी लागू होगा।