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फसल बीमा: क्या किसानों को छल रहा बीमा कंपनियों और सरकार का गठजोड़?

प्रदेश सरकार पर बीमा कंपनियों के साथ मिलकर फसल बीमा के दावों के निराकरण में देरी का आरोप।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश और ओलावष्टि से फसल बर्बाद होने के बाद फसल बीमा योजना पर फिर सवाल उठने लगे हैं। यह योजना किसानों की मददगार कम और निजी कंपनियों के लिए कमाई का साधन पहले ही साबित हो चुकी है। अब प्रदेश की शिवराज सरकार पर बीमा कंपनियों के साथ मिलकर फसल बीमा के दावों के निराकरण में देरी का आरोप भी लगा है।

जानकारी के मुताबिक खरीफ 2020 में किसानों के फसल बीमा के लिए जिस कंपनी का चयन हुआ उसके साथ राज्य सरकार ने यह अनुबंध किया कि कुल प्राप्त प्रीमियम का 110% तक ही दावे का भुगतान कंपनी द्वारा किया जाएगा। वर्ष 2020 खरीफ में प्रीमियम लगभग 3000 करोड़ रुपए जमा हुआ है तो इसका 110% अर्थात 3300 करोड़ रुपए के दावों का भुगतान कंपनी को वहन करना है और इसके ऊपर की राशि भुगतान सरकार को वहन करना है।

खरीफ 2020 में लगभग 7000 करोड़ रुपए के दावे किसानों ने किए हैं जिसका सीधा अर्थ यह है कि इसका 110% अर्थात 3300 करोड़ रुपए के दावों का भुगतान कंपनी को वहन करना है और राज्य सरकार को 3700 करोड़ रुपए का भार वहन करना पड़ेगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी इन तथ्यों को सामने रखते हुए आरोप लगाया था कि 3700 करोड़ रुपए के इसी भार के कारण राज्य सरकार द्वारा फसल बीमा के दावों का निराकरण नहीं कराया जा रहा है। कमलनाथ ने यह सवाल भी उठाया कि जब किसानों को 2020 का बीमा अब तक नहीं मिला है तो 2022 में ओला वृष्टि का पैसा 2024 में भी मिल जाए तो बड़ी बात है।

दूसरी ओर यह भी सामने आया है कि फसल बीमा योजना से किसानों की बजाए बीमा कंपनियां मालामाल हो रही हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते पांच साल में बीमा कंपनियों को प्रीमियम के रूप में 138806 करोड़ रुपए मिले हैं जबकि दावों के निराकरण के रूप में किसानों को 92427 करोड़ रुपये ही मिले हैं। यानी पांच सालों में ही बीमा कंपनियों को फसल बीमा योजना से करीब 46 हजार करोड़ रुपये की कमाई हुई है।

कृषि पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 से 2019-20 के दौरान दो सरकारी बीमा कंपनियों ने तो जितना प्रीमियम वसूला, उससे ज्यादा क्लेम का भुगतान किसानों को किया किया। यानी सरकारी बीमा कंपनियां घाटे में रहीं जबकि निजी कंपनियों को चार साल के दौरान 30 प्रतिशत से अधिक फायदा हुआ। कई कंपनियों ने 60 से 70 फीसदी तक मुनाफा कमाया।

गौरतलब है कि फसल बीमा योजना के तहत किसानों को कुल प्रीमियम का 1.5 प्रतिशत (खरीफ सीजन) और 2 प्रतिशत (रबी सीजन) ही जमा कराना होता है। बाकी प्रीमियम केंद्र व राज्य सरकारें मिल कर जमा कराती हैं।

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