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जानिए कमलनाथ के ‘इंडियन वैरिएंट’ पर बयान का सच, BJP एक्सपोज

अब यह खुलासा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट में 9 मई को दिए शपथ पत्र में खुद केंद्र सरकार ने कोरोना के इंडियन वैरिएंट का जिक्र किया है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) भारतीय जनता पार्टी के विधायकों द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के खिलाफ साइबर क्राइम का मामला दर्ज कराने का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है। भाजपा का आरोप है कि कमलनाथ ने कोरोना को इंडियन वैरिएंट बता अंतरराष्टीय स्तर पर देश की छवि बिगाड़ने का काम किया है। अब यह खुलासा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट में 9 मई को दिए शपथ पत्र में खुद केंद्र सरकार ने कोरोना के इंडियन वैरिएंट का जिक्र किया है।

प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के नेतृत्व में रविवार को भाजपा विधायकों के एक दल ने कमलनाथ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के बारे में चर्चा करते हुए विश्वास सारंग ने बताया था कि WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) यह कह रहा है कि यह कोरोना इंडियन वैरिएंट नहीं है, लेकिन कमलनाथ को कहां से यह दिव्यज्ञान प्राप्त हुआ नहीं मालूम। सारंग ने आगे कहा कि इंडियन वैरिएंट बताना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान की छवि को बिगाड़ने वाला बयान है। कमलनाथ ने यह देशद्रोह का काम किया है।

विश्वास सारंग दरअसल कमलनाथ की जिस बात का हवाला दे रहे थे वह उन्होंने उज्जैन में शनिवार को कही थी। कमलनाथ ने यहां खुद कोरोना के इंडियन वैरिएंट की बात नहीं की थी बल्कि वे यह बता रहे थे कि इंटरनेशनल मीडिया और दूसरे देशों के प्रमुख किस तरह इंडियन वैरिएंट शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं।

देखिए क्या कहा था कमलनाथ ने-

यह भी सच है कि इंटरनेशनल मीडिया में कोरोना का इंडियन वैरिएंट शब्द का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। दुनिया भर के बडे मीडिया संस्थान इंडियन वैरिएंट शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं। देखें टेलीग्राफ की रिपोर्ट-

कमलनाथ ने यह बयान 22 मई को दिया था लेकिन यह भी खुलासा हुआ है कि केंद्र सरकार स्वयं सुप्रीम कोर्ट को दिए शपथपत्र में कोरोना को लेकर इंडियन वैरिएंट शब्द का इस्तेमाल 9 मई को ही कर चुकी है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तन्खा ने इस तथ्य को ट्वीट भी किया है-

अब सवाल यह है कि जब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में इंडियन वैरिएंट का इस्तेमाल चुकी है तो क्या भाजपा केंद्र सरकार के खिलाफ भी हिंदुस्तान की छवि को बिगाड़ने की शिकायत दर्ज कराएगी? दूसरी ओर केंद्र सरकार भी इंडियन वैरिएंट को लेकर दोहरा रवैया अपना रही है। एक ओर वह खुद सुप्रीम कोर्ट में इस शब्द का इस्तेमाल कर चुकी है और दूसरी ओर सोशल मीडिया से इस शब्द को हटाए जाने के निर्देश जारी कर रही है।

कोरोना से मौतों के आंकड़ों को लेकर भी कमलनाथ ने बड़ा दावा किया था ( पढ़ें- मार्च से अप्रैल के बीच एक लाख से ज्यादा मौतें, कमलनाथ के दावे से शिवराज के ऐलान पर सवाल) जबकि सरकार कमलनाथ के दावे को भ्रामक बता उन पर महामारी के दौरान अफवाह फैलाने का आरोप लगा रही है। जबकि कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थान पहले ही कोरोना से मौत के आंकड़ों को छिपाए जाने से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित कर चुके हैं।

राजधानी भोपाल के ही विश्राम घाट और कब्रिस्तान में कोरोना प्रोटोकाल के तहत हो रहे अंतिम संस्कारों की संख्या ही सरकार द्वारा जारी मृतकों की संख्या से आठ से दस गुना ज्यादा है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि प्रदेश सरकार को मौतों के आंकड़ों पर सही स्थिति सामने लाना चाहिए न कि सवाल उठाने वालों पर केस दर्ज कर असंवेदनशील होना चाहिए।

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