MP

अबकी बार-200 पार, BJP ने फिर पाला 2018 का ‘मुगालता’

यह पहली बार नहीं जब भाजपा ने प्रदेश में 'अबकी पार-200 पार' का लक्ष्य तय किया हो। इसके पहले 2018 के चुनाव में भी भाजपा ने यही लक्ष्य रखा था।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव के लिए तो टारगेट भी तय कर दिया है लेकिन इस टारगेट को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं।

दरअसल भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे की जयंती के अवसर पर सीएम शिवराज ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए विधानसभा चुनाव के लिए ‘अबकी बार-200’ पार का नारा दिया। CM शिवराज के नारे पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी उन्हें मंच से ही भरोसा दिलाया कि प्रदेश भाजपा संगठन इस टारगेट को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

हालांकि यह पहली बार नहीं जब भाजपा ने प्रदेश में ‘अबकी पार-200 पार’ का लक्ष्य तय किया हो। इसके पहले भी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने यही लक्ष्य रखा था। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह (तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष) ने खुद मध्यप्रदेश के चुनावी दौरे पर उस समय यह लक्ष्य दिया था लेकिन नतीजा जब सामने आया तो भाजपा बमुश्किल 104 सीट जीत पाई थी और सत्ता से बाहर हो गई थी।

अब एक बार फिर सीएम शिवराज द्वारा ‘अबकी बार-200 पार’ के टारगेट का नारा देने पर कांग्रेस ने भी कटाक्ष किया है। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने लिखा कि- 200 पार का नारा तो 2018 के विधानसभा चुनाव में भी दिया गया था…परिणाम आने पर पता चला की तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,राजस्थान) को मिलाकर भी 200 पार तो दूर 200 तक भी नहीं पहुंच पाए थे

सोशल मीडिया पर भी भाजपा के 2018 के वे पोस्टर और विज्ञापन वायरल हो रहे हैं जिनमें 200 सीटें का दावा किया गया था।

अगर नगरीय निकाय चुनाव के परिणामों को सत्ता का सेमीफाइनल माना जा जाए तो सियासी पंडित भाजपा के 200 सीट के टारगेट को एक मुगालता ही मान रहे हैं। नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को ग्वालियर चंबल, महाकौशल और विन्ध्य में हार का सामना करना पड़ा था। इन तीनों अंचलों में विधानसभा की करीब 90 सीटें आती हैं। यानी सत्ता के सेमीफाइनल में भाजपा प्रदेश की एक तिहाई से ज्यादा सीटों पर हार चुकी है।

दूसरी ओर निकाय चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार को देखते और भाजपा में लगातार बढ़ रही गुटबाजी को देखते हुए विधानसभा चुनाव में उसके लिए 200 तो क्या सत्ता तक पहुंचना भी टेढ़ी खीर ही माना जा है। यहाँ तक कि हालिया फैसलों को देखते हुए तो अब तो इस बात पर भी संशय है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा कौन होगा?

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के दोबारा तय किए गए टारगेट ‘अबकी बार-200 पार’ का हश्र भी 2018 की तरह होता है या लक्ष्य को हासिल कर भाजपा इतिहास रचती है? फिलहाल तो यह लक्ष्य निकाय चुनाव में अपेक्षाकृत प्रदर्शन न होने के बाद कार्यकर्ताओं की हौसला अफजाई के रूप में ही देखा जा रहा है।

Back to top button