कुपोषण: धरे रह गए दावे, अपने ही विभाग ने खोली सरकार की पोल
राज्य के दस लाख बच्चों पर किए गए अध्ययन में चार लाख यानी 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित पाए गए हैं।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश में कुपोषण को लेकर स्थिति गंभीर है। यह खुलासा महिला एवं बाल विकास विभाग के एक ही एक अध्ययन में सामने आया है। विभाग द्वारा राज्य के दस लाख बच्चों पर किए गए अध्ययन में चार लाख यानी 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। इनमें से भी 70 हजार से ज्यादा बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित मिले हैं।
इस तरह के सर्वेक्षण आमतौर पर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) द्वारा किए जाते हैं लेकिन इस बार महिला और बाल विकास विभाग ने ही सर्वे किया है। जिसका नतीजा राज्य सरकार के दावों के विपरीत ही दिखाई दे रहा है।
विभाग के अध्ययन में जो 70 हजार बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित मिले है। उनमें से 6000 बच्चों को पोषण पुनर्वास में भर्ती किया गया है। इन बच्चों में नवजात से लेकर 6 वर्ष तक की उम्र के बच्चे शामिल हैं।
इंदौर में सबसे ज्यादा कुपोषित
अध्ययन के मुताबिक प्रदेश में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे इंदौर में मिले हैं। यहां इनकी संख्या 12540 है; इसकेे बाद सागर का नंबर है। जहां कुपोषित बच्चों की संख्या 11184 है। राजधानी भोपाल इस मामले में बेहतर स्थिति में है 4126 बच्चे कुपोषित मिले हैं।
इस अध्ययन में एक तिहाई से अधिक बच्चे त्वचा और हड्डी रोग से पीड़ित मिले हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि वे गंभीर तीव्र और मध्यम कुपोषण से पीड़ित हैं।कुपोषण केंद्र में भर्ती किए गए बच्चों के अलावा अन्य कुपोषित बच्चों का उनके घरों में इलाज किया जा रहा है।
कोरोना से स्थिति गंभीर
कुपोषण को लेकर प्रदेश की स्थिति कोरोना के चलते और खराब हो सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में कोरोना के कारण कुपोषण बीते साल की तुलना में दस प्रतिशत तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह एक कुपोषण के मामले में प्रदेश दस साल पुरानी स्थिति में पहुंच जाएगा।