सिवनी लिंचिंग: MP में आदिवासी लामबंद, हत्यारे धार्मिक संगठनों पर बैन की मांग
आदिवासी संगठनों का अलग अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन, धर्म की आड़ में अराजकता फैला रहे समूहों को प्रतिबंधित किये जाने की उठाई मांग।
सिवनी (जोशहोश डेस्क) गौकशी के संदेह में दो आदिवासियों की हत्या के विरोध में शुक्रवार को प्रदेश के आदिवासी संगठनों ने अलग अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान आदिवासी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और धर्म की आड़ में हमला करने वाले और असंवैधानिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले समूहों को प्रतिबंधित किये जाने की मांग की।
आदिवासी संगठनों के मुताबिक ‘धर्म और गौरक्षा’ की आड़ में आए दिन गुंडे आम जन पर हमला कर रहे हैं, कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहे हैं। धर्म के बहाने आदिवासियों, दलितों एवं अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हमले किये जा रहे हैं। सरकार को ऐसे हमलों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए और असंवैधानिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले समूहों पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।
विरोध प्रदर्शन कर रहे आदिवासी संगठनों के हरसिंग जमरे, माधुरी और नासरी बाई निंगवाल ने कहा कि हम आदिवासी अपने मवेशियों को घर के सदस्य जैसे रखते हैं। उसके बाद भी जिस तरह गाय के नाम पर इन्सानों को मारा जा रहा है, उसका हम पुरजोर विरोध करते हैं। आजाद भारत में इस प्रकार आज भी भी आदिवासियों के घर में घुस कर आदिवासियों की हत्या की जा सकती है, यह शासन प्रशासन की बड़ी विफलता है।
आदिवासी संगठनों के वक्ताओं का कहना था कि जिन लोगों ने कभी गाय को पाला ही नहीं, उसकी देखभाल के बारे में जो लोग कुछ नहीं जानते हैं, आज वे अपने आप को “गौ रक्षक” बता कर इन्सानों को मार रहे हैं। नफरत को बढ़ावा देते हुए बच्चों के हाथ में कलम पकड़ाने की जगह, हथियार पकड़ाए जा रहे है जो शर्मनाक है।
विरोध प्रदर्शन में मध्य प्रदेश में लगातार आदिवासियों के साथ बर्बरतापूर्वक हमलों पर आक्रोश जताया गया। आदिवासियों का कहना था कि प्रदेश में इस प्रकार अत्याचार की यह पहली घटना नहीं है। पिछले एक ही साल में सितंबर 2021 में बिस्टान (खरगोन) और ओंकारेश्वर (खंडवा) में पुलिस हिरासत में बिसन भील और किशन निहाल की मृत्यु हुई थी। न्यायिक जांच में दोषी पाये जाने के बाद भी आज तक एक भी दोषी पुलिस कर्मी गिरफ्तार नहीं हुआ है। मई 2021 में नेमावर में, अपने आप को “हिन्दू केसरिया संगठन” का नेता बताने वाले सुरेन्द्र राजपूत द्वारा एक पूरे कोरकू आदिवासी परिवार की हत्या की गई थी। अगस्त 2021 को नीमच में एक गरीब आदिवासी मजदूर, कन्हैयालाल भील को सरे आम सड़क पर घसीटा गया और मार-मार कर उसकी हत्या की गई थी।
गौरतलब है कि सिवनी जिले के सिमरिया गांव में मंगलवार तड़के दो आदिवासी युवकों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी और पिटाई से एक अन्य युवक की हालत गंभीर बनी हुई है। गौवंश की तस्करी के संदेह पर बड़ी संख्या में हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने बबर्रतापूर्वक आदिवासी युवकों की पिटाई शुरू कर दी थी। जब तक पुलिस घटनास्थल पर पहुँचती आरोपियों ने आदिवासियों को बेदम कर दिया था। पुलिस ने गंभीर अवस्था में तीनों आदिवासियों को अस्पताल पहुंचाया जहाँ दो युवकों ने दम तोड़ दिया था। घटना को लेकर जबर्दस्त आक्रोश है। सिवनी जिले के थाना कुरई के थाना प्रभारी द्वारा भी आरोपियों में से 3 के बजरंग दल एवं 6 श्री राम सेना के सदस्य होने की पुष्टि की जा चुकी है।