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बुंदेलखंड की सूरत बदलने की कवायद

सागर (जोशहोश डेस्क) देश के पिछड़े क्षेत्रों की बात चलती है तो बुंदेलखंड उस सूची में न आए ऐसा हो नहीं सकता, क्योंकि इस इलाके को वह सुविधाएं हासिल नहीं हो पाई है जिसका वह हकदार है। कोशिशें कई बार हुई यहां की तस्वीर बदलने की मगर हालात नहीं बदले। एक बार फिर इस क्षेत्र को उसका हक दिलाने की कवायद हो रही है, मगर यह पहुंचेगी कहां तक यह सवाल सबके मन मस्तिष्क में हिलोरें मार रहा है।

बुंदेलखंड का इतिहास समृद्धि का प्रतीक रहा है, मगर वक्त के थपेड़ों में यह समृद्धि लगातार गुम होती गई, यही कारण है कि आज इसकी पहचान विकास से दूर, समस्याग्रस्त, सूखा, अकाल, बेरोजगारी और पलायन से होने लगी है। आजादी के बाद भी इस इलाके को वह हासिल नहीं हुआ जो उसे मिलना चाहिए था। इसी का नतीजा रहा कि, बुंदेलखंड जहां आजादी के समय में था उससे बहुत आगे नहीं निकल पाया है।

ऐसा नहीं है कि इस इलाके से नामचीन लोग जनप्रतिनिधि नहीं हुए। जिनके हाथ में यहां की कमान आई उन्होंने अपने स्तर पर प्रयास किए मगर राज्य और केंद्र सरकारों ने कभी भी यहां की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया। यह क्षेत्र मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात-सात जिलों से मिलकर अर्थात कुल 14 जिलों में फैला है। मध्य प्रदेश के सात जिलों की बात करें तो उनमें पन्ना ऐसा जिला है जिसे अब तक रेल सुविधा नसीब नहीं हुई है। सागर और दतिया के अलावा कहीं भी बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं है। शिक्षा का हाल तो बयां ही नहीं किया जा सकता।

मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड से लोकसभा की चार सीटें आती है, इन सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। यहां के दमोह से सांसद प्रहलाद पटेल केंद्र सरकार में मंत्री हैं। राज्य और केंद्र में सरकार एक ही दल भाजपा की है। इन दोनों सरकारों के साथ जनप्रतिनिधियों की सक्रियता और क्षेत्र विकास की कोशिश के चलते यहां की तस्वीर और हालात बदल सकते हैं।

इस इलाके को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने के लिए एम्स की स्थापना, खजुराहो में सैनिक स्कूल की स्थापना, खजुराहो-पन्ना रेल लाइन और पन्ना से सतना रेल लाइन के विस्तार के अलावा ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन में जिन परिवारों की भूमि अधिगृहित हुई है उन्हें नौकरी देने की भी कवायद चल रही है। वहीं पन्ना में कृषि विष्वविद्यालय की भी मांग उठ रही है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और खजुराहो के सांसद विष्णु दत्त शर्मा इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने के लिए केंद्र सरकार के कई मंत्रियों से मुलाकात कर चुके हैं, क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक कदम उठाने के ज्ञापन भी संबंधित मंत्रियों को सौंपे हैं।

बुंदेलखंड के पानी के संकट को लेकर सांसद विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना इस क्षेत्र के लिए वरदान होगी क्योंकि सूखे बुंदेलखड में पानी ही पानी होगा।

राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि बुंदेलखंड की समस्याएं किसी से छुपी नहीं है, राजनेता वादे बहुत करते हैं, कोशिश भी करते हैं मगर सफलता इस इलाके के हिस्से में नहीं आती है। यही कारण है कि यहां के विकास के लिए हजारों करोड़ का बुंदेलखंड पैकेज आया, मगर खर्च होने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इतना ही नहीं दीगर योजनाओं में भी भरपूर रकम आती है, खर्च हो जाती है, कुछ लोग मालामाल हो जाते हैं, क्षेत्र वहीं का वहीं खड़ा रहता है। क्षेत्र के जलसंवर्धन के नाम पर हजारों करोड़ खर्च हो चुके होंगे मगर अब भी यह क्षेत्र प्यासा और सूखा ग्रस्त है। जो धनराषि आती है, विकास कार्य होते हैं अगर उसकी सोशल ऑडिट कराई जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी सबके सामने होगा।

(इस खबर के इनपुट आईएएनएस से लिए गए हैं।)

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