दिल्ली-भोपाल-इंदौर: क्या प्रदेश BJP के अंदरखाने में कुछ बड़ा पक रहा है?
प्रदेश की राजनीति का पॉवर सेंटर इंदौर शिफ्ट, गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद चल रहे घटनाक्रम दिलचस्प
भोपाल (जोशहोश डेस्क) क्या प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के अंदरखाने में कुछ बड़ा पक रहा है? यह सवाल सियासी गलियारों में लगातार जोर पकड़ता जा रहा है। सियासी पंडित हालिया घटनाक्रमों को इस सवाल से जोड़कर भी देख रहे हैं। वहीं मंगलवार को सीएम शिवराज की दिल्ली यात्रा को लेकर भी चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।
गृहमंत्री अमित शाह के दो दिवसीय दौरे के बाद से ही प्रदेश की राजनीति में जो घटनाक्रम चल रहे हैं वह बेहद दिलचस्प हैं। अचानक ही प्रदेश की राजनीति का पॉवर सेंटर इंदोर शिफ्ट होता दिख रहा है और कैलाश विजयवर्गीय के घर दिग्गजों के पहुंचने से माहौल और गर्माया सा लग रहा है।
इंदौर से सियासी संकेत उस समय सामने आए जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अचानक कैलाश विजयवर्गीय से मिलने पहुंचे। प्रदेश में क्रिकेट की सियासत में लंम्बे समय विरोधी रहे कैलाश विजयवर्गीय से सिंधिया बेहद गर्मजोशी से मिलते दिखे। यहां तक कि वे अपने बेटे को भी साथ लेकर विजयवर्गीय के घर पहुंचे थे और उसे कैलाश विजयवर्गीय से आशीर्वाद लेने तक को कहा।
इसके बाद रविवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी कैलाश विजयवर्गीय से मिले। दोनों के बीच मुलाकात ने प्रदेश का सियासी पारी और भी चढ़ा दिया है। प्रदेश के दो कद्दावर मंत्रियों की लगातार दिल्ली में मौजूदगी का कारण भी प्रदेश में नए सियासी समीकरणों की पटकथा का हिस्सा माना जा रहा है। भाजपा संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति से शिवराज का बाहर होना भी इसी पटकथा से जोड़ा जा रहा है।
दूसरी ओर अमित शाह की भोपाल में मौजूदगी से लेकर अब तक मुख्ममंत्री शिवराज सिंह चौहान की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उसमें उनकी बॉडी लैग्वेज तक के सियासी पंडित मायने निकाल रहें हैं। बड़ी बात यह है भी है कि जहां एक ओर प्रदेश स्तर के भाजपा नेताअेां के बीच मेल मुलाकातों का दौर चल रहा है वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देश और प्रदेश के मंदिरों में पूजा आराधना कर रहे हैं। वे पहले मिर्जापुर में विंध्यवासिनी देवी और काशी विश्वनाथ मंदिर गए इसके बाद उन्होंने दतिया के पीतांबरा पीठ में पूजा की।
कांग्रेस भी इस स्थिति में भाजपा की अंदरूनी सियासत पर जमकर कटाक्ष कर रही है-
यह भी कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के बाद भाजपा नेतृत्व को समझ आ चुका है कि पार्टी के लिए विधान सभा चुनाव में अपनी जमीन बचाना आसान नहीं है। यही कारण है कि पार्टी संगठन में इन दिनों बड़ी हलचल है। सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि पार्टी का एक बहुत बड़ा वर्ग यह मानने लगा है कि मध्यप्रदेश में अब नेतृत्व परिवर्तन का सही समय आ चुका है और वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम कहीं कुछ बड़े निर्णय का संकेत दे रहे हैं।
वहीं चर्चा यह भी है कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को महत्व दे रही है उससे यह लगता है कि पार्टी असम में हेमंत विस्वा सरमा की तर्ज़ पर मध्यप्रदेश में भी सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस को बड़ा झटका देने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
हालांकि कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह मानना भी है कि शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की पिछले 17 सालों में दशा और दिशा बदली है। शिवराज भाजपा के उन नेताओं में से हैं जिन्होंने प्रदेश में भाजपा को ब्राह्मण बनियों की पार्टी के तमगे से मुक्त कराकर गरीब गुरबो की पार्टी बनाने का श्रेय जाता है और जमीनी पकड़ के मामले में उनके कद का नेता अभी भी भाजपा में नहीं है और विधानसभा चुनाव उनके चेहरे पर ही लड़ा जाएगा।
इन घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज दिल्ली दौरे पर रहेंगे। वैसे तो मुख्यमंत्री शिवराज की दिल्ली यात्रा का प्रयोजन महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी से सौजन्य भेंट बताया जा रहा है लेकिन वे दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी से भी मुलाक़ात करेंगे। इस मुलाक़ात को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं।