भोपाल (जोशहोश डेस्क) क्या केसरिया दल में नए नवेले नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को मिल रहा सम्मान पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा (Prabhat Jha) के अपमान में बदलता जा रहा है? सवाल इसलिए कि जब भाजपा पूरे देश में अच्छे दिनों का दावा कर रही है तो उस दौर में प्रभात झा के इतने बुरे दिन आएंगे कि ये शायद स्वयं प्रभात झा ने भी न सोचा हो।
बुरे दिन इसलिए कहे जा रहे हैं कि भाजपा का झंडा थामे प्रभात झा जिन सिंधिया का लंबे समय तक विरोध करते रहे आज वे सिंधिया तो भाजपा के बड़े कार्यक्रमों की शान बनते जा रहे रहे हैं। वहीं प्रभात झा को इन कार्यक्रमों का बुलावा तक नसीब नहीं हो रहा।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उज्जैन में हाल ही में आयोजित भाजपा के विधायक प्रशिक्षण वर्ग में दो बातें बेहद खास रहीं। पहली यह कि इस कार्यक्रम में भाजपा संगठन ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को काफी महत्व दिया और दूसरी यह कि कार्यक्रम में भाजपा ने प्रभात झा समेत अपने ही पूर्व प्रदेशाध्यक्षों विक्रम वर्मा और राकेश सिंह को बुलावा तक नहीं भेजा।
अब अंदाजा लगाइए कि प्रभात झा के लिए यह स्थिति कितनी असहज होगी कि उनके धुर विरोधी सिंधिया तो पार्टी के मंचों पर रूतबा दिखाएं और उन्हें मंच तो क्या मंच के सामने की कुर्सी तक नसीब न हो। यही कारण है कि सियासी गलियारों में सिंधिया के सम्मान को अब प्रभात झा के अपमान से जोड़ा जा रहा है।
वैसे भी प्रभात झा का पूरी सियासत महल विरोधी ही रही। प्रभात झा के लिए भी ग्वालियर ही सियासत की रणभूमि रही। यही कारण रहा कि प्रभात झा हमेशा ही सिंधिया के लिए तीखे तेवर अपनाते रहे। प्रभात झा ही वह शख्स थे जिन्होंने सिंधिया को सबसे पहले भू माफिया कहा था लेकिन हालात इस तरह बदलेंगे इसका अंदाजा प्रभात झा को भी नहीं होगा।
प्रभात झा ने सिंधिया के भाजपा में आने को पार्टी का निर्णय बता स्वागत किया लेकिन जब उनसे सिंधिया पर भूमाफिया वाले आरोपों पर सवाल किए गए तो उनके पास चुप्पी साधने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं बचा था। स्वयं पत्रकार रहे प्रभात झा को पत्रकारों से ही यह कहना पड़ा कि इन आरोपों के अलावा वे कोई और सवाल करें।
सिंधिया जब भाजपा में आए उस समय प्रभात झा राज्यसभा सदस्य थे। उनका कार्यकाल भी खत्म होने को था। वे दोबारा राज्यसभा पहुंचते इससे पहले ही सिंधिया की भाजपा में एंट्री हो गई और भाजपा ने तुरंत ही सिंधिया को राज्यसभा का टिकट भी थमा दिया। सिंधिया को टिकट मिलते ही प्रभात झा के दोबारा राज्यसभा पहुंचने का रास्ता भी पूरी तरह बंद हो गया।
अब सिंधिया का तो भाजपा में कद बढ़ता जा रहा है। वहीं प्रभात झा पार्टी में लगातार दरकिनार किए जा रहे हैं। ऐसे में नई भाजपा में सिंधिया के बढ़ते सम्मान को पुरानी भाजपा के दिग्गज प्रभात झा के अपमान की तरह ही देखा जा रहा है।