अब की बार-आर पार, सिंधिया के गढ़ में सेंध लगाने को कमलनाथ तैयार
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज ग्वालियर में आमने सामने
ग्वालियर (जोशहोश डेस्क) प्रदेश की सियासत का बड़ा केंद्र बन चुके ग्वालियर में रविवार को रविदास जयंती के मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और दलबदल कर भाजपा नेता व केन्द्रीय मंत्री बने ज्योतिरादित्य सिंधिया आमने सामने होंगे। दोनों नेता रविदास जयंती के दिन अलग-अलग कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ दोपहर को गांधी रोड थाटीपुर दशहरा मैदान पर रविदास जयंती पर आमसभा को संबोधित करेंगे। वहीं केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उसी समय कुछ ही दूरी पर सिटी सेंटर आरोग्यधाम हॉस्पिटल व जीवाजी यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
यह पहली बार ही है जब दोनों नेता 2020 के बाद ग्वालियर में एक ही दिन दो अलग अलग कार्यक्रम में नज़र आएंगे। साल 2020 में ही सिंधिया ने भाजपा में शामिल होकर कमल नाथ सरकार को गिरा दिया था। तब से ही दोनों नेता बड़े प्रतिद्वंदी बन चुके हैं। ऐसे में आज का दिन प्रदेश की सियासत के लिए महत्वपूर्ण बन गया है।
वैसे भी इस बार कमलनाथ विधानसभा चुनाव में अपने दम पर आर पार की लड़ाई लड़ते दिखाई दे रहे हैं। कमलनाथ को फोकस प्रदेश के साथ ही सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल अंचल पर पर है। भाजपा में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया यहाँ जमीन पर कमजोर पड़ते दिखे हैं वहीं कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने ग्वालियर और मुरैना में महापौर का चुनाव जीत भाजपा को सकते में डाल दिया था।
अब कांग्रेस विधानसभा चुनाव में भी सिंधिया के गढ़ को भेदने की तैयारियां में है। इसी रणनीति के तहत कमलनाथ आज सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-मुरैना में शक्ति प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए रविदास जयंती का दिन भी ख़ास कारणों से चुना गया है। कांग्रेस की कोशिश ग्वालियर अंचल में दलित वोटरों को पूरी तरह से अपने पक्ष में करने की है।
अगर बीते विधानसभा चुनाव की बात की जाये तो दलित वोटर्स की दम पर ही कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल अंचल में रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। हालांकि, तब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे लेकिन कांग्रेस अब कांग्रेस सिंधिया को पाला बदलने के बाद उनके गढ़ में पटखनी देकर बगावत का बदला लेने के मूड में है।
बताया जा रहा है कि कमलनाथ उन सीटों के लिए पर ख़ास फोकस कर रहे हैं जहाँ दलित वोटरों पर पकड़ मजबूत कर पार्टी सिंधिया को कमजोर कर सके। ग्वालियर चंबल अंचल की 7 सीटें SC के लिए आरक्षित हैं। वहीं अन्य 27 सीटों पर भी दलित वोटरों की बड़ी तादाद है।
ग्वालियर चंबल अंचल का सियासी गणित देखा जाये तो ग्वालियर और चंबल संभाग के कुल 8 जिले हैं। 8 जिलों में विधानसभा की 34 सीटें हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 34 सीटों में से 20 पर कब्जा जमाया था। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा और 26 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी को 2013 के मुकाबले 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था और 2018 में 7 सीटों पर सिमट गई। इस बार के चुनाव में भी दलित वोटर्स बीजेपी से नाराज हैं। साथ ही सिंधिया की एंट्री के बाद BJP कई गुटों में बंट गई है इसका सीधा फायदा भी कांग्रेस को मिलने की उम्मीद जताई रही है।