इस्तीफे पर सवाल, NCP प्रमुख शरद पवार की प्रेशर या सेफ पॉलिटिक्स?
शरद पवार के इस्तीफे को NCP के अंदर चल रही राजनीति से जोड़ा जा रहा
मुंबई (जोशहोश डेस्क) महाराष्ट्र में मंगलवार को एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ़ शरद पवार ने पद छोड़ने की घोषणा कर दी। पवार ने NCP प्रमुख के पद से इस्तीफ़ा दे दिया। हालांकि, शरद पवार के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की वजह पता नहीं चल पाई है लेकिन शरद पवार के इस्तीफे को NCP के अंदर चल रही राजनीति से जोड़ा जा रहा है।
शरद पवार के इस ऐलान के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। एक ओर पवार के भतीजे अजित पवार को एनसीपी अध्यक्ष पद के दावेदार के तौर पर भी देखा जा रहा है वहीं शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को भी पवार की उत्तराधिकारी माना जा रहा है। पवार के इस्तीफे को इन दोनों के बीच सामंजस्य बनाने का दांव भी माना जा रहा है।
सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि शरद पवार का इस्तीफ़ा दरअसल उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा है। यह कहा जा रहा है कि भतीजे अजित की भाजपा संग नजदीकियों को लेकर एनसीपी में सुगबुगाहटों का दौर जारी है। ऐसे में शरद पवार को सुप्रिया सुले का भविष्य भी देखना है और आज के राजनैतिक हालात ऐसे नहीं है कि वह सुप्रिया को पार्टी की कमान दे सकें।
कहा यह भी जा रहा है कि एनसीपी के कुछ विधायकों पर केंद्रीय जाँच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। ये विधायक विधानसभा चुनाव के बाद ही भाजपा के साथ गठबंधन की वकालत कर रहे थे लेकिन शरद पवार ने इन विधायकों को अनदेखा कर कांग्रेस और शिवसेना के साथ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी बना सरकार चलाने का फैसला लिया। अब इस गठबंधन सरकार के गिर जाने के बाद पवार पर विधायकों का दबाव बढ़ता जा रहा है।
हाल ही में गौतम अडानी को लेकर दिए बयान के बाद शरद पवार विपक्ष में भी अलग थलग पड़ते दिखाई दिए थे। अडानी पर बयान देने के बाद पवार का एक बार फिर जेपीसी कामांग का समर्थन करना विपक्ष के दबाव का ही नतीजा बताया जा रहा था। इस घटनाक्रम को शरद पवार का भाजपा के खिलाफ सेफ गेम भी बताया जा रहा है। नए अध्यक्ष के साथ अब NCP नए गठबंधन की संभावनाओं पर जो निर्णय लेगी उससे पवार खुद को अलग-थलग रखने में भी कामयाब हो जायेंगे।