बसंत पंचमी: जब एक काजी के प्रेम प्रसंग ने बचाई शिवराज सरकार!
बसंत पंचमी से जुड़ा एक ऐसा किस्सा जब एक काजी के प्रेम प्रसंग ने शिवराज सरकार को बचा लिया था
भोपाल (जोशहोश डेस्क) देश भर में आज बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अनेक नेताओं ने देशवासियो को बसंत पंचमी की शुभकामनाएं दी हैं।
आज जोशहोश मीडिया आपको बता रहा है बसंत पंचमी से जुड़ा एक ऐसा किस्सा जब शिवराज सरकार को बचाने काम आया था एक काजी का प्रेम प्रसंग –
शिवराज पहली बार 29 नवंबर 2005 को प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। महज 2 महीने बाद ही यानी दो फरवरी 2006 में उनके सामने बड़ी चुनौती आ गई। दरअसल इस साल बसंत पंचमी के दिन शुक्रवार था। धार का भोजशाला विवाद तूल पकड़े था। बसंत पंचमी और जुमे की नमाज होने से मामला बेहद संवेदनशील हो गया था।
आरएसएस ने हिंदू जागरण मंच के माध्यम से कई महीनों पहले ही ही पूरे मालवा में नर्मदा जल के कलश की गांव गांव पूजा शुरू कर दी थी। पूजा के दौरान यह कहा गया कि इस नर्मदा कलश के जल से ही बसंत पंचमी को भोजशाला का शुद्धिकरण किया जाएगा। साथ ही संघ द्वारा बड़ी संख्या में भोजशाला पहुंचने की अपील भी लोगों से की गई थी। इधर सिमी के लोगों ने भी जगह जगह मीटिंग कर एक लाख मुसलमानों से जुमे की नमाज पर भोजशाला पहुंचने को कहा गया था। पूरे प्रदेश में माहौल तनावपूर्ण था।
केवल दो महीने पहले ही मुख्यमंत्री बने शिवराज का एक ओर संवैधानिक दायित्व था कि भोजशाला में सब कुछ स्थापित नियमों के हिसाब से हो। वहीं उन पर दूसरी तरफ आरएसएस और कट्टर हिंदुवादी संगठनों का दबाव था कि भोजशाला में उनकी मनमर्जी चले।
केंद्र में तब मनमोहन सिंह की सरकार थी। शिवराज अच्छे से जानते थे कि भोजशाला में कुछ गड़बड़ हुई तो मामला अयोध्या जैसा विकराल रूप धारण कर सकता है। कहा जा रहा था कि उस समय केंद्र सरकार इस बात के लिए तैयार थी कि अगर शिवराज सरकार प्रदेश में कानून का पालन नहीं करा पाए तो संविधान की धारा 356 लगाकर राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए।
विवाद की आशंका देख केंद्र सरकार ने भी एक विचित्र सा आदेश जारी किया। केंद्र सरकार ने बसंत पंचमी को सुबह से 12 बजे तक हिंदुओं को पूजा व हवन की अनुमति दी। वहीं 12 से डेढ़ बजे तक का समय प्रशासन को शिवराज खाली कराने को दिया जिसके बाद वहां मुसलमान नमाज अता कर सकें।
जैसी आशंका थी बसंत पंचमी के लिए धार युदुधभूमि में तब्दील हो गया। लगभग चालीस हजार अर्धसैनिक बल पूरे इलाके में लगाए गए और एक दर्जन से ज्यादा आईपीएस अधिकारी स्थिति पर नियंत्रण करते रहे।
सुबह के समय हवन के बाद आंदोलनकारी भोजशाला उत्सव समिति ने तय कर रखा था कि किसी भी कीमत पर मुसलमानों को प्रवेश न करने दिया जाए। चारों तरफ से आंदोलनकारी हिंदुओं ने भोजशाला को घेर रखा था जैसे ही 12 बजे भोजशाला को खाली कराने का काम प्रशासन ने किया तभी पूरे में हल्ला हो गया कि मुसलमान नमाज नहीं पढ़ पाए। तब उस समय मामले की देखरेख कर रहे इंदौर के आईजी ने अचानक पचास मुसलमान नमाजियों को पास के ही एक घर से ही निकालकर नमाज अता करवा दी।
दरअसल पुलिस जानती थी कि ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होगी। इसलिए उसने एक रोज पहले ही कुछ मुसलमानों को पास के घरों मेें ठहरा दिया था। जब कुछ मुसलमान धर्म गुरुओं ने इस तरह नमाज पढ़ने से अपना विरोध जताया तब पुलिस ने नायब शहर काजी को सामने ला कर खड़ा कर दिया।
नायब शहर काजी उन दिनों एक प्रेम प्रसंग के चलते परेशान थे। महिला की शिकायत पर जब पुलिस ने कार्रवाई करने का मन बना लिया तब काजी ने अपनी इज्जत का हवाला देते हुए बड़े अधिकारियों से बचाने की गुहार लगाई। बस यही कमजोरी पुलिस के लिए पर्याप्त ताकत बन गई।विवाद से बचने के लिए नायब शहर काजी के नेतृत्व में छत पर नमाज पढ़ी गई जिसे पूरे देश ने सीधे प्रसारण में देखा।
इस तरह भोजशाला विवाद एक बड़ा सांप्रदायिक दंगा बनते बनते रह गया और शिवराज सरकार पर छाए संकट के बादल भी छंट गए।
पुस्तक राजनीतिनामा मध्यप्रदेश से साभार