डाॅ. राकेश पाठक की FB पोस्ट, कायाकल्प के बहाने साबरमती आश्रम का मूल स्वरूप नष्ट करने की तैयारी
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के जीवंत दस्तावेज जलियांवाला बाग के रिनोवेशन को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं कि अब महात्मा गांधी की कर्मभूमि साबरमती आश्रम के कायाकल्प को लेकर विरोध सामने आने लगा है। यह कहा जा रहा है कि कायाकल्प के बहाने केंद्र सरकार अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप को नष्ट करने की तैयारी कर रही है।
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. राकेश पाठक ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस अहम विषय को उठाया है। उन्होंने सत्याग्रह आश्रम को महात्मा गांधी की सादगी और सत्य का प्रतीक बताते हुए देशवासियों से इसे बचने की अपील की है। डाॅ. राकेश पाठक ने प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय को मेल करअपना विरोध दर्ज़ कराने का अनुरोध भी किया है।
पढ़िए डाॅ. राकेश पाठक की फेसबुक पोस्ट-
एक साधारण पत्रकार और गाँधीमार्ग के अति साधारण पथिक के रूप में यह खुला पत्र लिख रहा हूँ। आपको विदित ही होगा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के निर्देशन में गुजरात सरकार अहमदाबाद स्थित ‘साबरमती आश्रम’ का काया कल्प करने जा रही है। इस बहाने आश्रम के मूल स्वरूप को नष्ट करने की तैयारी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत साक्षी यह आश्रम ‘सत्याग्रह आश्रम’ कहलाता है। महात्मा गांधी अपने जीवन काल में लगभग 13 वर्ष इस आश्रम में रहे थे। इसकी स्थापना 1915 में अहमदाबाद में कोचरब नाम की जगह हुई थी बाद में 1917 में इसे साबरमती नदी के किनारे स्थानांतरित किया गया।
प्रसिद्ध ‘दांडी यात्रा’ के लिए गांधी जी ने इसी आश्रम से 12 मार्च 1930 को प्रस्थान किया था। स्वतंत्रता संग्राम के अनेक विचार विमर्श और रणनीति का केंद्र यह आश्रम महान सेनानियों की उपस्थिति का भी साक्षी रहा। आश्रम सत्य,अहिंसा,संयम,समानता ,सामाजिक सदभाव का प्रतीक है। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ से पहले गांधी जी जब अंतिम बार इस आश्रम से विदा हुए तब उन्होंने संकल्प किया था कि जब तक देश आज़ाद नही हो जाएगा तब तक इस आश्रम में नहीं लौटेंगे।
बाद में उन्होंने वर्धा में सेवाग्राम आश्रम को अपना निवास बनाया। दुर्योग यह कि गांधी जी साबरमती से एक बार निकले तो आज़ादी के बाद भी अपने जीवन मे फिर कभी वहाँ नहीं लौट सके। केंद्र सरकार ऐसे ऐतिहासिक महत्व के आश्रम के मूल स्वरूप को बदल कर सम्पूर्ण आश्रम परिसर को ‘विश्व स्तरीय संग्रहालय’ और ‘पर्यटक केंद्र’ बनाने की ओर अग्रसर है।
इसे ‘मेमोरियल’ बनाने के लिये 1246 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। केंद्र का संस्कृति मंत्रालय फंड उपलब्ध कराएगा और गुजरात सरकार द्वारा गठित गवर्निंग काउंसिल की निगरानी में इसका ‘कायाकल्प’ होगा। सत्याग्रह आश्रम गांधी जी की सादगी और शुचिता का प्रतीक है और उसे आधुनिक संग्रहालय जैसा रूप देना उसकी मूल आत्मा को नष्ट करने जैसा है।
पचपन एकड़ में फैले परिसर में गांधी जी की कुटिया ‘हृदय कुंज’, आचार्य विनोबा भावे की कुटिया ‘विनोबा मीरा कुटीर’, मगन निवास आदि और उसके आसपास के मूल स्वरूप के साथ बदलाव होना सुनिश्चित है। ऐसा होने पर गांधी जी के आश्रम का वास्तविक स्वरूप ही विकृत हो जाएगा। दुनिया भर में महापुरुषों की धरोहर को उनके मूल स्वरूप में ही सुरक्षित ,संरक्षित रखने का काम किया जाता है।
जिस ग्रेट ब्रिटेन के विरुद्ध महात्मा गांधी ने अनथक संघर्ष किया और उसे भारत छोड़ने पर विवश किया वहाँ भी गांधी जी से सबंधित विरासत को सरकार ने संरक्षित घोषित किया है। दक्षिण अफ्रीका में भी गांधी की विरासत सुरक्षित,संरक्षित हैं। ऐसे महात्मा गांधी और उनका आश्रम भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व की धरोहर है। इसे इसके मूल स्वरूप में ही सहेजा जाना चाहिये।
अगर आप आज नहीं चेते तो इस आश्रम का हश्र भी जलियांवाला बाग जैसा होना तय है। मेरी अपील है कि आगामी 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन सत्याग्रह आश्रम को बचाने के लिये हम सब आवाज़ उठाएं। गांधीवादी तरीके से जिसे जैसा उचित लगे प्रतिरोध दर्ज़ करवाइये।
नोट: मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय को पूर्व में एक पत्र मेल कर चुका हूं। आज फिर इस पत्र को मेल करूंगा। आप उचित समझें तो इसे कॉपी कर अपने नाम से प्रधानमंत्री को मेल कीजिये। पीएम और पीएमओ के मेल आईडी कमेंट सेक्शन में हैं।