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माफ़ कीजिये प्रधानमंत्री जी यह सरासर मिथ्यावाचन है

डॉ. राकेश पाठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा है कि बाल विवाह कानून, शिक्षा का अधिकार कानून बिना मांगे बनाये गए थे। किसी ने मांग नहीं की थी और सरकारों ने बना दिये थे। वे बिना मांगे किसान क़ानून बनाने की हिमायत कर रहे थे। माफ़ कीजिये प्रधानमंत्री जी यह सरासर मिथ्यावाचन है।

बाल विवाह के खिलाफ़ क़ानून बनाने के लिये समाज ने फिरंगी राज में लंबी लड़ाई लड़ी थी। उन्नीसवीं सदी में राजा राममोहन राय ने बाल विवाह के खिलाफ़ आवाज़ उठाई थी।

बीसवीं सदी की शुरुआत में ‘अखिल भारतीय महिला सम्मेलन’, ‘महिला भारतीय संघ’ और ‘भारत में महिलाओं की परिषद’ ने बाल विवाह के खिलाफ़ अलख जगाया। समाज सुधारक, बाल विवाह विरोधी संस्थाओं के लोग तत्कालीन नेताओं के सामने अपनी मांग रखने जाते थे।

सन 1927 में रायसाहब हरविलास शारदा ने केंद्रीय विधानसभा में ‘हिन्दू बाल विवाह बिल’ पेश किया। इसमें विवाह के लिये लड़कियों की उम्र 14 और लड़कों की 18 वर्ष करने का प्रावधान रखा गया। समाज सुधारकों, स्वतंत्रता सेनानियों के दवाब में ब्रिटिश सरकार ने इसे एक कमेटी के पास भेज दिया। कमेटी के सदर सर मोरोपंत विश्वनाथ जोशी थे।

कमेटी में आर्कोट रामास्वामी मुदलियार, खान बहादुर माथुक, मियां इमाम बख़्श कुडू,रामेश्वरी नेहरू, श्रीमती ओ बरीदी बीडोन,मियां सर मुहम्मद शाह नवाज़,एमडी साग आदि मेम्बर थे।

कमेटी ने 20 जून 1929 को रिपोर्ट पेश की। इस बिल को ‘इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल’ ने 29 सितम्बर 1929 को पारित किया। यह कानून 30 अप्रैल 1930 से पूरे देश में लागू हुआ।

बिल पेश करने वाले रायबहादुर हरविलास शारदा के नाम पर ही इसे ‘शारदा एक्ट’ के नाम से जाना गया। बाद में सन 1949, 1978 और 2006 में इस कानून में ज़रूरी संशोधन भी किये गए। अब विवाह की न्यूनतम आयु सीमा लड़कियों और लड़कों के लिये क्रमशः 18 और 21 वर्ष है।

यूं ही नहीं आया शिक्षा के अधिकार का क़ानून

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि शिक्षा के अधिकार का क़ानून (RTE) भी बिना किसी के मांगे बनाया गया है। यह भी सरासर ग़लत है। शिक्षा के अधिकार के लिये क़ानून भारत ज्ञान विज्ञान समिति के प्रणेता प्रो. विनोद रैना जैसे लोगों के सतत संघर्ष का परिणाम है। प्रो. रैना अखिल भारतीय जनवादी विज्ञान नेटवर्क के सह संस्थापक थे। सन 2009 में उनके और तमाम दूसरे लोगों के संघर्ष के बाद शिक्षा का अधिकार कानून बना। इसका ड्राफ्ट भी प्रो रैना ने तैयार किया था।

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