सागर (जोशहोश डेस्क) कुछ कर गुज़रने की चाह इंसान को विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता की राह खोल देती है, कठिन समय और विषम परिस्तिथियों में सफलता की एक ऐसी ही इबारत लिखी अनिरुद्ध सिंह ने। मध्यप्रदेश के सागर जिले स्थित ग्राम केसली के अनिरुद्ध, जो इस समय खेती में अपने नवाचार प्रयोगों के बदौलत प्रदेश भर में छाये हुए हैं। अनिरुद्ध ने बुंदेलखंड की धरती पर वो कर दिखाया जिसकी मिसालें कभी कश्मीर और हिमाचल के नाम से दी जाती थीं।
अनिरुद्ध पेशे से वकील हैं साथ ही मध्यप्रदेश के इंदौर में ‘सक्सेस मंत्रा’ नाम से कोचिंग सेंटर चलाते हैं। कोरोना महामारी के चलते जब लॉकडाउन लगाया गया तब अनिरुद्ध इंदौर से अपने घर केसली आ गए। कोचिंग सेंटर बंद थे तो कमाई का कोई और साधन भी नहीं था। ऐसे में अनिरुद्ध ने खेती करने का फैसला किया और अपने पहले ही प्रयास में स्ट्रॉबेरी का सफल उत्पादन कर पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
स्ट्रॉबेरी मुख्यतः ठन्डे प्रदेशों में उगाई जाती है इसलिए बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र में इसका उत्पादन करना अपने आप में किसी कीर्तिमान से कम नहीं है। अनिरुद्ध की मानें तो जब वे कुछ सालों पहले अपने दोस्तों के साथ हिमाचल घूमने के लिए गए तब उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती करने का आईडिया आया। पहले कोचिंग सेंटर की वजह से समय की कमी रहती थी, जिस कारण इस आईडिया पर कभी अमल नहीं किया, जब लॉकडाउन लगा तो इस आईडिया पर अमल कर खेती करना शुरू की। अनिरुद्ध ने शुरुआत में डेढ़ एकड़ जमीन खेती करने के लिए चुनी और 1 नवंबर 2020 को मल्चिंग और ड्रॉपिंग पद्धति के जरिए खेती करना प्रारंभ किया। जिसके बाद महज़ 2 महीनों के अंदर ही पौधों से स्ट्रॉबेरी के फल आना शुरू हो गए। मल्चिंग और ड्रॉपिंग पद्धति से खेती करने में अनिरुद्ध ने मात्र डेढ़ लाख रुपए खर्च किए ।
सोशल मीडिया की मदद से बेचीं स्ट्रॉबेरी
अनिरुद्ध कहते हैं कि फल आने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी इनका प्रचार-प्रसार करना, इन फलों को बेचना के जिसके लिए मैंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा लिया। अनिरुद्ध ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की मदद से स्ट्रॉबेरी का प्रचार किया, जिसके बाद उन्हें मुंबई, भोपाल, बालाघाट, करेली, नरसिंहपुर और होशंगाबाद जैसे कई शहरों से आर्डर आना शुरू हो गए। अनिरुद्ध बताते हैं कि अब स्तिथि यह है कि स्ट्रॉबेरी की मांग उत्पादन से ज्यादा हो गई है। अनिरुद्ध महज़ 15 दिनों में ही करीब 1 लाख रुपए की कमाई कर चुके हैं ,और कहते हैं कि आने वाले 3 माह में करीब 5 लाख रुपए की आमदनी का अनुमान है।
स्ट्रॉबेरी को विदेशी टमाटर बताकर खेती की
अनिरुद्ध बताते हैं कि जब नवंबर में स्ट्रॉबेरी की खेती करनी शुरू की तब गांव के बहुत से किसानों और लोगों को यह तक नहीं पता था कि स्ट्रॉबेरी होती क्या है । तब मैंने लोगों को यह बताया कि मैं विदेशी टमाटर की खेती कर रहा हूँ। बाद में समय बीता और कुछ समझदार किसानों को जब मालूम चला कि यह विदेशी टमाटर नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में उगने वाली स्ट्रॉबेरी हैं, तब गांव में हाहाकार मच गया। जिसके बाद हज़ारों लोग फसल को देखने आने लगे। अलग-अलग शहरों से किसान आने लगे, जब यह बात मीडिया को पता चली तो उनका भी आना-जाना लगा रहा। अनिरुद्ध की मानें तो स्ट्रॉबेरी की सफल खेती के पीछे उनकी मेहनत के अलावा सरकारी अधिकारीयों का सहयोग भी रहा। अनिरुद्ध कहते हैं कृषि विभाग के अधिकारीयों को जब स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पता चला तो वह समय समय पर आकर सलाह देते थे, आगे क्या करना है, कैसे करना है। यह भी बताते थे।
किसानों को दे रहे प्रशिक्षण
अनिरुद्ध की मानें तो बुंदेलखंड के किसान अभी भी परंपरागत खेती पर निर्भर हैं जिस वजह से फसलों का उत्पादन कम होता है। साथ ही यहां के किसानों को सरकारी योजनाओं के बारे में भी कम जानकारी है, इसकी वजह अनिरुद्ध अशिक्षा को मानते हैं। अनिरुद्ध ने स्ट्रॉबेरी की खेती कर केसली में आधुनिक खेती की शुरुआत कर दी है, जिसके बाद अब अनिरुद्ध गांव के किसानों को आधुनक खेती कैसे करें इस चीज के लिए जागरूक करने का काम कर रहे हैं। इससे किसानों को अपनी आय और खेती सुधारने में मदद मिलेगी और उत्पादन भी बढ़ सकेगा।
अब लॉकडाउन खुल चुका है साथ ही अनिरुद्ध के बनाए कोचिंग सेंटर भी। आने वाले समय में अनिरुद्ध हर महीने 10 दिन गांव में और 20 दिन इंदौर में रहेंगे। अनिरुद्ध कहते हैं कि अब वह कोचिंग सेंटर के साथ साथ खेती भी करेंगे क्योंकि जब लॉकडाउन की वजह से आय के सारे साधन बंद हो गए थे, तब खेती ही थी, जिसकी वजह से मेरा घर और जीवन बिना किसी दिक्कतों के चलता रहा। अनिरुद्ध गांव के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आने वाले समय में अपने कोचिंग सेंटर की एक ब्रांच अपने गांव में भी खोलने जा रहे हैं, जो पूरी तरह से निशुल्क होगी। अनिरुद्ध का कहना है कि इस कोचिंग सेंटर से ग्रामीण बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ नए अवसर भी मिलेंगे जो उनके भविष्य को बेहतर बनाने में मदद करेंगे। मध्यप्रदेश में स्ट्रॉबेरी की खेती का सफल उत्पादन करने के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने वाले हीरो अनिरुद्ध सिंह को जोशहोश सलाम करता है।