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शिवराज सरकार बताए पेटलावद में 78 मौतों का गुनहगार कौन: कमलनाथ

पेटलावद विस्फोट में सभी आरोपियों के बरी होने से घिरी शिवराज सरकार, हवा हवाई साबित हुए न्याय दिलाने के बड़े-बड़े वादे।

झाबुआ/भोपाल (जोशहोश डेस्क) पेटलावद में जिलेटिन छड़ों के गोदाम में हुए भीषण विस्फोट में 78 बेगुनाहों की दर्दनाक मौत के मामले में सभी आरोपियों के बरी हो जाने से शिवराज सरकार बुरी तरह घिरी नज़र आ रही है। आरोपियों के बरी होने के पीछे सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार बताया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने दोषियों को सजा दिलाने से लेकर, पीड़ितों को न्याय दिलाने के बड़े-बड़े वादों को हवा हवाई बताते हुए कहा है कि सरकार बताए पेटलावद में 78 मौतों का गुनहगार कौन है?

दैनिक भास्कर ने सोमवार को इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विस्फोट कांड के आरोपियों को राहत के पीछे सबसे बड़ा कारण सरकार की लापरवाही रही। क्योंकि, पुलिस जांच से लेकर सरकारी पैरवी तक केस इतना कमजोर कर दिया गया कि किसी पर कोई आरोप टिका ही नहीं। सरकार ने जस्टिस आर्येंद्र कुमार सक्सेना के न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट तो साढ़े 6 साल में खोली ही नहीं।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सवाल उठाया कि इस विस्फोट कांड के सारे आरोपी एक-एक कर बरी हो गये? जांच व पैरवी में ख़ामियों की बात सामने आ रही है। आखिर इन 78 लोगों की मौत का दोषी कौन,सरकार बताये…?

कमलनाथ ने ट्वीट किया कि मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद में 12 सितंबर 2015 को जिलेटिन छड़ों के गोदाम में हुए भीषण विस्फोट में 78 बेगुनाहों की दर्दनाक मौत हुई और इस विस्फोट कांड के सारे आरोपी एक-एक कर बरी हो गये…? जांच व पैरवी में ख़ामियों की बात सामने आ रही है।आखिर इन 78 लोगों की मौत का दोषी कौन, सरकार बताये…? पीड़ित परिवारों के लिए उस समय जो घोषणाएं की गयी थी ,वह आज भी अधूरी और उन्हें न्याय तक नहीं मिला…इस विस्फोट कांड के समय दोषियों को सजा दिलाने से लेकर ,पीड़ितों को न्याय दिलाने के जितने बड़े-बड़े दावे किए गए थे ,सब अधूरे व हवा हवाई साबित हुए…इस दर्दनाक हादसे की तस्वीरें आज भी सामने आती है तो मन क्रोधित व द्रवित हो उठता है।

कांग्रेस ने फिर आरोप लगाया कि विस्फोट कांड का मुख्य आरोपी राष्टीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता था और उसका छोटा भाई भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ का पदाधिकारी था इसलिए सरकार ने उन्हें बचाने के लिए पूरे मामले की लीपापोती कर दी। जिससे सभी आरोपी बरी हो गए। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि विस्फोट के बाद ही मैंने यह आशंका जाहिर की थी मुख्य आरोपियों को भाजपा सरकार ही बचाएगी।

गौरतलब है कि जिला न्यायालय ने मुख्य आरोपी राजेन्द्र कासवां (जिसे विस्फोट में मृत बताया गया) और सह आरोपी धर्मेन्द्र राठौड़ (विस्फोटक सप्लाई का आरोपी) को भी बरी कर दिया गया। विस्फोटक रखने के 5 आरोपी पहले ही बरी हो चुके हैं। यानी विस्फोट कांड में बनाए गए तीन अलग-अलग केसों के सभी 7 आरोपी बरी हो गए हैं। सजा के नाम पर तत्कालीन पेटलावद थानाधिकारी शिवजी सिंह की सेवानिवृत्ति से ठीक पहले एक वेतनवृद्धि (1600 रुपए) रोकने के आदेश हुए। मुख्य आरोपी राजेन्द्र कासवां की मौत को पीड़ित और प्रत्यक्षदर्शी सच नहीं मानते। जिन लोगों ने राजेंद्र कासवां को घटना के बाद ज़िंदा देखे जाने की बात कही थी उन्हें भी गवाह नहीं बनाया।

घटना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पेटलावद पहुंचे थे और मौके पर सैकड़ों की संख्या में आक्रोशित लोगों ने उनका काफिला रोक दिया था। जब मुख्यमंत्री शिवराज भीड़ को समझाने के लिए आगे बढ़े तो लोगों ने पुलिस-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी। इसके बाद सीएम चौहान भी रास्ते पर ही लोगों के बीच बैठ गए थे। उन्होंने मृतकों के परिजनों को मुआवजा व सरकारी नौकरी दिए जाने की आश्वासन दिया था। शिवराज ने पूरे मामले की न्यायिक जांच की बात भी कही थी। उन्होंने कहा था कि हादसे का जो भी दोषी है, उसे बख्शा नहीं जाएगा और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाऊंगा।

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