MP में अब सिंधिया V/s नरोत्तम, कमजोर पड़ रहे शिवराज
कैबिनेट बैठक में शिवराज के सामने मंत्रियों के बीच विवाद के बाद भाजपा की अंर्तकलह खुलकर सामने आ गई।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट के बीच जिस तरह का संवाद हुआ उसके साफ जाहिर है कि भाजपा में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरोत्तम मिश्रा आमने-सामने हो गए हैं। वहीं इस कैबिनेट की बैठक में चुप्पी से फिर मुख्यमंत्री शिवराज का कमजोर होता कद सामने आया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को भोपाल प्रवास पर हैं। इस दौरान उनकी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, मंत्री भूपेंद्र सिह और गोपाल भार्गव से मुलाकात होना है। इससे पहले नरोत्तम मिश्रा की जिस तरह कैलाश विजयवर्गीय और वीडी शर्मा से मुलाकाते हुई हैं उससे सियासी पारा चढ़ा ही हुआ था। अब कैबिनेट बैठक में शिवराज के सामने मंत्रियों के बीच विवाद के बाद भाजपा की अंर्तकलह खुलकर सामने आ गई।
सिंधिया के प्रवास से पहले एक और अहम घटना हुई थी, जिसमें भाजपा विधायक राकेश गिरी ने भरी मीटिंग में सिंधिया पर सनसनीखेज आरोप लगाए थे। सिंधिया की नाराजगी के बाद राकेश गिरी को न सिर्फ प्रदेशअध्यक्ष वीडी शर्मा ने तलब कर नसीहत दी बल्कि गिरी को अपने शब्दों पर माफी भी मांगनी पड़ी थी। यहाँ तक कि सिंधिया ने ग्वालियर की समीक्षा बैठक में शिवराज तक को टोक दिया था। इन एपीसोड से भी सिंधिया की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही ताकत अब भाजपा के नेताओं को अखरने लगी है। कैबिनेट बैठक में तुलसी सिलावट और नरोत्तम मिश्रा के बीच संवाद के मूल में भी कहीं न कहीं सिंधिया की बढ़ती ताकत ही कही जा रही है।
सिंधिया के भाजपा में आने के बाद शिवराज की लोकप्रियता ने उन्हें चौथी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था। 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत के बाद शिवराज मजबूत बनकर उभरे थे लेकिन सिंधिया और उनके समर्थकों को एडजस्ट करने को लेकर पार्टी में शिवराज विरोधी माहौल दिखाई दे रहा है। कई वरिष्ठ विधायक सार्वजानिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। दमोह की हार के बाद तो शिवराज की घेराबंदी और भी तेज हो गई है।
दूसरी ओर बीते सप्ताह भाजपा में जो मेल मुलाकातों का दौर चला उसके केंद्र में भी नरोत्तम मिश्रा ही थे। हालांकि भाजपा के दिग्गज नेताओं के बीच मुलाकातों को सौजन्य भेंट कहा तो गया लेकिन यह बात भी सामने आई थी कि भाजपा में सिंधिया के बढ़ते दबदबे को रोकने के लिए ये मेल मुलाकातें हो रही थीं। संघ और भाजपा हाईकमान के सख्त तेवरों के बाद इन मुलाकातों पर अल्प विराम तो जरूर लग गया है लेकिन सब कुछ ठीक हो गया हो ऐसा नहीं कहा जा सकता।
अब सिंधिया के भोपाल प्रवास से एक दिन पहले शिवराज के सामने जिस तरह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तेवर दिखाए और सिंधिया समर्थक मंत्री से गहमागहमी के बाद वे बैठक छोड़ चले गए उससे साफ जाहिर है कि ये अंतर्कलह फिलहाल थमने वाली नहीं है। इस अंर्तकलह से शिवराज कमजोर साबित होने लगे हैं क्योंकि संगठन के निर्णय पहले ही पूरी तरह से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के हवाले हो चुके हैं वहीं अब सत्ता पर भी शिवराज की पकड़ ढीली होती जा रही है। कैबिनेट बैठक में मंत्रियों के बीच विवाद और उस दौरान शिवराज की चुप्पी तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है।