टीबी कंट्रोल: बैतूल को राष्ट्रीय स्तर पर मिला ब्राॅन्ज मैडल, जानिए कैसे बदली तस्वीर
टीबी के मरीजों में 20 प्रतिशत से ज्यादा कमी लाने पर बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅक्टर हर्षवर्धन ने बैतूल जिले को ब्रान्ज मैडल से नवाजा।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) टीबी (क्षयरोग) जैसी बीमारी पर नियंत्रण के लिए किए गए प्रयासों के कारण बैतूल को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है। टीबी के मरीजों में 20 प्रतिशत से ज्यादा कमी लाने पर बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅक्टर हर्षवर्धन ने बैतूल जिले को ब्रान्ज मैडल से नवाजा। स्टेट टीबी आफिसर वर्षा राय ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।
बैतूल को यह उपलब्धि टीबी नियंत्रण पर किए गए सराहनीय कार्य के लिए मिली। साल 2015 में जिले में टीबी के मरीजों की संख्या 1974 थी जो साल 2020 में घटकर 1478 ही रह गई। इस तरह बैतूल जिले ने पांच सालों के अंतराल में मरीजों की संख्या न सिर्फ बढ़ने से रोका बल्कि इनमें 20 प्रतिशत की कमी की।
वहीं साल 2015 में प्रति एक लाख की आबादी पर 117 मरीज मिल रहे थे। जिला में टीबी उन्मूलन के प्रयासों के चलते साल 2020 में यह संख्या 81 तक आ गई। इस उपलब्धि के लिए ही बैतूल को सब नेशनल सर्टिफिकेशन फॉर एलीमिनेशन ऑफ टीबी के लिए कांस्य पदक दिया गया।
पुरस्कार प्रदान करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए जितना बड़ा कार्यक्रम भारत में चल रहा है उतना बड़ा कार्यक्रम दुनिया में कहीं नहीं है। टीबी की जांच के लिए आज देश के हर ज़िले में आधुनिक सुविधाओं से युक्त जांच केंद्र स्थापित हो चुके हैं और हर मरीज़ के इलाज का ख़र्च सरकार वहन कर रही है।
दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅक्टर हर्षवर्धन ने पूर्ण विश्वास जताते हुए कहा कि हम भारत में TB को ख़त्म करने के अपने तय लक्ष्य 2025 से पहले इस बीमारी पर जीत हासिल कर लेंगे।
बैतूल जिले की यह उपलब्धि इसलिए और अहम् है क्योंकि बैतूल न सिर्फ आदिवासी बहुल है बल्कि जिले में संसाधनों का खासा टोटा भी है। इसके बाद भी टीबी मुक्त भारत के तहत जिले को यह उपलब्धि टीम वर्क के कारण मिली। जिले में क्षय रोग शाखा के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक ने पूरे मनोयोग से टीबी उन्मूलन के लिए प्रयास किए। इन प्रयासों से ही यह सफलता प्राप्त हो सकी है।