हाॅस्पिटल मैनेजमेंट तय करता था किस मरीज को कितने दिन में मृत घोषित करना है
जबलपुर के सिटी हाॅस्पिटल प्रबंधन पर भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल का बड़ा आरोप, कमिश्नर से शिकायत
जबलपुर (जोशहोश डेस्क) नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार से सुर्खियों में आए जबलपुर के सिटी हाॅस्पिटल को लेकर नए नए खुलासे हो रहे हैं। नरसिंहपुर के भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल ने अब यह आरोप तक लगाया है कि कितने दिन में कौन सा मरीज मरेगा यह सिटी अस्पताल प्रबंधन तय करता था। विधायक ने कमिश्नर को पत्र लिख मरीजों से वसूले गए पैसे अस्पताल प्रबंधन से वापस दिलाने की मांग की है।
विधायक जालम सिंह पटेल ने कमिश्नर को लिखे पत्र में बताया है कि करीबी जिला होने के कारण मेरे इलाके के कई मरीज सिटी हाॅस्पिटल जाते थे। यहां एडमिट होने से पहले ही मरीजों से एक से पांच लाख रुपए तक जमा कराए जाते थे। इसके अलावा मरीजों की मौत कब बतानी है यह भी अस्पताल प्रबंधन ही तय करता था।
वहीं विधायक पटेल ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन मरीजों की कम गंभीर बीमारियों को भी गंभीर बताकर शासकीय योजनाओं से मिलने वाली राशि में फर्जीवाड़ा करता था। उन्होंने कमिश्नर से अनुरोध किया कि इस बात की जांच की जाए कि अस्पताल में कितने मरीजों की मौत हुई? और उनके परिजनों से कितनी राशि वसूली गई?
वहीं जालम सिंह पटेल का पत्र सामने आने पर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी मामले की जांच सर्वदलीय समिति से कराए जाने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया कि देखना है कि शिवराज अपने ही विधायक द्वारा की गई शिकायत पर जांच कराते हैं या नहीं?
गौरतलब है कि सिटी हाॅस्पिटल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार में अरेस्ट किया गया है। इस मामले में जबलपुर की ही भगवती फार्मा के सरल जैन को भी अरेस्ट किया गया है। सरल जैन के परिजनों ने आरोप लगाया था कि सरबजीत सिंह मोखा ने नकली रेमडेसिविर खरीद कर अस्पताल में उपयोग किए हैं।
सिटी हाॅस्पिटल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा जबलपुर विश्व हिंदु परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष थे। मोखा को भाजपा नेताओं का करीबी भी बताया जाता है। हाल ही में सरबजीत सिंह ने सांसद राकेश सिंह को कोविड केयर सेंटर के लिए 11 लाख रुपए दान भी किए थे।