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श्योपुर: मंत्री तोमर पर फूटा बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा, काफिला घेरा, नारेबाजी-पथराव

श्योपुर में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को करना पड़ा बाढ़ पीड़ितों के आक्रोश का सामना।

ग्वालियर (जोशहोश डेस्क) ग्वालियर चंबल में भारी बारिश से तबाही के बाद सरकारी मदद का इंतजार कर रहे लोगों का गुस्सा शनिवार को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के सामने फूट पड़ा। बाढ़ प्रभावितों ने मंत्री तोमर का काफिला घेर लिया और जब काफिला रवाना होने लगा तो आक्रोशित भीड़ ने उस पर पथराव भी किया।

केंद्रीय मंत्री तोमर शनिवार को श्योपुर में बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचे थे। यहां पीड़ित मंत्री तोमर तक अपनी बात पहुंचाना चाह रहे थे लेकिन भारी शोरे शराबे और हंगामे के चलते स्थिति तनावपूर्ण हो गई। सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी मशक्कत के बाद मंत्री तोमर को भीड़ से निकाला। लोगों की शिकायत थी कि उन्हें बाढ़ के पहले सूचना नहीं दी गई थी। जिला प्रशासन ने मुनादी भी नहीं करवाई। अब बाढ़ में उनका सब कुछ तबाह हो गया।

बताया जा रहा है कि सरकार की और से मदद न मिलने से गुस्साए लोगों ने मंत्री की गाड़ी पर कीचड़ तक फेंक दिया। महिलाएं रोते हुए अपनी समस्याएं मंत्री तोमर को बताना चाह रही थीं कुछ पीड़ित तो मंत्री तोमर की गाड़ी के आगे लेट गए और उनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।

प्रदेश महिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष कविता पांडेय ने पीड़ितों के बाच पहुंचे मंत्री तोमर के व्यवहार पर सवाल उठाये हैं-

गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी शनिवार को दतिया, शिवपुरी और श्योपुर में बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा लिया था। इसके बाद कमलनाथ ने ग्वालियर में मीडिया से चर्चा में कहा था कि मुख्यमंत्री शिवराज घोषणाओं से बाहर निकल सीधे-सीधे वह समय सीमा बताएं जब बाढ़ प्रभावितों को मुआजवा दिया जाएगा। कमलनाथ ने कहा था कि मैंने हालात का जायजा लिया है और या त्रासदी बेहद भयावह है। कई पुल टूटे हैं सड़कें उखड़ चुकी हैं। बिजली के ट्रांसफार्मर खराब हो चुके हैं। गांव के गांव खाली हैं। छोटी दुकानें बह चुकी हैं। इन हालातें में राज्य सरकार को जल्द से जल्द यह बताना चाहिए कि बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास के लिए सरकार का क्या रोड मैप है? नुकसान का मूल्यांकन कैसे किया जाएगा? बेघर हुए लोगों के जीवन को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार क्या उपाय कर रही है? नुक्सान का मुआवजा कब तक प्रभावितों को मिल पायेगा?

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