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नगर परिवहन सेवाएं ज़ीरो, सपने हवाई जहाज के दिखा रहे सिंधिया: पत्रकार राकेश अचल का लेख

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता माधव राव सिंधिया की तरह ही तेज गति से काम करने के लिए मशहूर हैं। उन्होंने अपने दो महीने से भी कम के कार्यकाल में ये बात प्रमाणित की है। उन्होंने अपने गृह नगर ग्वालियर को 10 और प्रदेश को 67 नई हवाई सेवाओं से जोड़कर अपनी क्षमताओं को प्रमाणित भी किया है,लेकिन इससे आम आदमी को कुछ हासिल नहीं होने जा रहा।

राकेश अचल

ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्राथमिकताओं का हर कोई कायल हो सकता है। वे देश में हवाई टैक्सियां चलने का सपना देख रहे हैं। इसके लिए देश की ड्रोन नीति में तब्दीली कर उसे सरल बनाया जा रहा है और मुमकिन है कि अगले कुछ महीनों में आप देश के आसमान में हवाई टैक्सियां उड़ती हुई देख भी लें लेकिन जैसे ‘ऊंचे लोगों की पसंद ऊंची ही होती है वैसे ही सिंधिया की पसंद भी ऊंची है। आम आदमी का इससे कोई सरोकार नहीं है।

सिंधिया जी जिस शहर का प्रतिनिधित्व करते हैं वो ग्वालियर उन अभागे शहरों में से है जहाँ अपनी कोई निजी नगर बस सेवा नहीं है। सिंधिया जिस अभागे प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य हैं उस अभागे मध्यप्रदेश के पास अपनी कोई राज्य परिवहन सेवा नहीं है, हालांकि एक कागजी निगम है जो आज भी अपने परमिटों को किराये पर देकर ज़िंदा है। सिंधिया जी को हवाई टैक्सियों के बारे में सोचने से पहले नगर बस सेवा और परिवहन निगम के बारे में सोचना चाहिए था।

पिछले कुछ वर्षों में दूसरे शहरों की तरह मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के अलावा दूसरे शहरों का अराजक और अनियोजित विकास तो हुआ है ,लेकिन इस विकास को ढोने के लिए अधोसंरचना और दूसरी सेवाओं के विकास की और किसी ने गौर नहीं किया। अधिकारी अखबारों की सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए केवल शिगूफे बाजी करने में लगे रहते हैं। ग्वालियर के विकास के मसीहा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया की नजर में ये असली मुद्दे विचारार्थ सामने आये ही नहीं और अब सीधे हवाई टैक्सी की बात होने लगी।

कोरोनाकाल ने देश की परिवहन व्यवस्था की धुरी रेलवे का भी दम तोड़ दिया। बीते 18 माह में भी भारतीय रेल ने जितनी रेलें बंद की थी उनमने से ज्यादातर अब तक आरम्भ नहीं हो सकी हैं। रेल घाटे में चल रही हैं डीजल-पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं ऐसे में देश को हवाई टैक्सियां चलने की योजना हवा-हवाई ही लगती है। सिंधिया चाहते तो अपने प्रभाव से उन बुनियादी सेवाओं का श्रीगणेश करा सकते थे,लेकिन उन्हें पहले हवाई यात्रियों की याद रही, फुटपाथ वालों की नहीं जबकि फुटपाथ वालों की संख्या कहीं ज्यादा है।

देश में हवाई टैक्सियां चलें इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती लेकिन इससे पहले रेलें चलें,यात्री बसें चले, नगर बस सेवाएं शुरू हों, तब कहीं जाकर आम आदमी को सुकून मिले। बीते कुछ सालों में आम आदमी से उसकी सुख-सुविधा छीनकर उसके हाथ में पांच किलो राशन पकड़ाने से आगे सोचा ही नहीं जा सका। सिंधिया जैसे ऊर्जावान नेता इस दिशा में कुछ कर सकते हैं,लेकिन हाल के फैसलों से अब निराशा होने लगी है।

आपको याद होगा कि सरकार ने निजी क्षेत्र में रेलें चलाने की कोशिश की थी,लेकिन कामयाब नहीं हुई ,तो स्टेशन में प्रवेश ही इतना मंहगा कर दिया की बेचारे रेल यात्री की जान ही निकल जाये। आपको शायद पता न हो लेकिन हकीकत ये है कि केंद्र ने देश में ड्रोन परिचालन के नियमों को और आसान बना दिया है। सरकार ने ड्रोन परिचालन के लिए भरे जाने वाले आवश्यक प्रपत्रों की संख्या 25 से घटाकर पांच कर दी है और लिए जाने वाले शुल्क के प्रकारों की संख्या 72 से घटाकर 4 कर दी है।

ड्रोन नियमों को आसान बनाने के बाद इस समय सड़क पर चलने वाली टैक्सियों की तरह ड्रोन नीति के तहत हमें भी हवा में टैक्सियां ​​नजर आ सकती हैं। बड़े ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क को कम करके 3000 रुपए और सभी श्रेणी के ड्रोन के लिए शुल्क 100 रुपए कर दिया गया है, जो 10 वर्ष तक वैध रहेगा। साथ ही यूजर फ्रेंडली सिंगल विंडो सिस्टम आधारित डिजटल स्काई प्लेटफॉर्म का विकास किया जाएगा। इसके माध्यम से अधिकांश स्वीकृतियों डिजटली प्राप्त हो जाएंगी और संचालकों को कायार्लयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे।

सियासत में बिल्ली के भाग्य से छींके रोज-रोज टूटते हैं लेकिन आम आदमी के भाग्य से कभी नहीं .जबकि आज के हालात में आम आदमी की सुविधाओं की और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. क्या बात है कि देश में एक साथ हवाई सेवाओं का विस्तार हो रहा है किन्तु सड़क यातायात के लिए कोई निजी आपरेटर सेवाएं देने के लिए राजी नहीं है ? देश के उन शहरों तक में नगर बस सेवाएं शुरू नहीं हो सकीं हैं जिन्हें ‘ स्मार्ट सिटी’ परियोजना के तहत चुना गया था। क्या वजह है कि राज्य सरकारें अपने परिवहन निगमों को शुरू करने के लिए तैयार नहीं हैं ?

तुलना करना उचित नहीं है लेकिन अमरीका में हवाई टैक्सियां इफरात में चलती हैं,क्योंकि यहाँ उसकी जरूरत है दूरियों को देखते हुए, बावजूद इसके यहां अधिकाँश शहरों में नगर बस सेवाएं भी चलाई जा रहीं हैं जबकि इन नगर बस सेवाओं के लिए पूरे यात्री भी नहीं मिलते ,क्योंकि 80 फीसदी से ज्यादा लोगों के पास निजी वाहन हैं। इसके बावजूद सरकार अपने लोककल्याण के संकल्प से पीछे नहीं हटी, जबकि हमारे यहां सवारियां ही सवारियां हैं लेकिन न समुचित रेल हैं और न यात्री बसें।

बहरहाल मध्यप्रदेश और देश में हवाई यात्राओं को सहज -सुलभ बनाने के लिए केंद्र की योजनाओं पर त्वरित गति से अमल करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बधाई के पात्र हैं ,वे अपनी कोशिश कर रहे हैं,अब जनता इन सेवाओं का लाभ लेने के लिए अपनी आमदनी बढ़ाये और शौक से हवा में उड़े। वैसे भारत की पहली एयर टेक्सी सेवा 14 जनवरी 2021 को चंडीगढ़ से शुरू हो चुकी है। 760 किलोग्राम वाली हवाई टैक्सी से आप 1755 रूपये में एक शहर से दूसरे शहर जा सकते हैं लेकिन ये शहर मेट्रो होना चाहिए। फिलहाल राज सहायता से उड़ान योजना के तहत देश के 26 रुट इस सेवा केलिए चुने गए हैं। एयर टेक्सी में एक पायलट और तीन यात्री सफर कर सकते हैं

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)।

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