CM शिवराज के ‘संकल्प’ यानी कहना कुछ और करना कुछ
शिवराज ने शनिवार को आम जनता के बीच दो संकल्पों की कही बात। दोनों ही संकल्पों को लेकर कहती कुछ और करती कुछ नजर आई सरकार।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को आम जनता के बीच दो संकल्पों की बात कही। सीएम शिवराज ने दोनों ही संकल्पों में आम जनता से तो भागीदारी का आव्हान किया लेकिन सरकार इन दोनों संकल्पों को लेकर कहती कुछ और करती कुछ नजर आई।
सीएम शिवराज ने पहले संकल्प का जिक्र नसरूल्लागंज की आम सभा में किया। यहां उन्होंने कहा कि अगर समाज नशा न करने का संकल्प ले तो सरकार शराब की दुकानों को बंद भी कर सकती है। शिवराज ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि अगर समाज को तैयार किए बिना शराबबंदी की जाए तो इससे शराब का अवैध कारोबार बढ़ता है जो और भी खतरनाक साबित होता है।
अब इस संकल्प को गहराई से देखें तो शिवराज सरकार समाज में शराब के खिलाफ माहौल बनाने की बजाए उसे प्रोत्साहित करती दिख रही है। सरकार द्वारा एक अप्रैल से प्रदेश में लागू नई नीति के बाद शराब सस्ती हो गई। क्या इसे शराबबंदी की दिशा में उठाया गया कदम माना जाये? राजगढ़ में तो सस्ती शराब के लिए माइक लगाकर प्रचार तक किया गया जिसका वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ था।
शराब को लेकर शिवराज सरकार की कथनी और करनी पर भाजपा नेता उमा भारती ही तीखे तेवर दिखा रही हैं। दो दिन पहले ही उन्होंने दो टूक कहा था कि प्रदेश सरकार महिलाओं की इज्जत और बेटों की जानपर खेलकर शराब से राजस्व कमा रही है जिस पर उन्हें शर्मिंदगी है।
शनिवार को शिवराज ने दूसरे संकल्प की बात उज्जैन में की। यहां नवसंवत्सर पर आयोजित विक्रमोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम हिंदुस्तान में रहते हैं। हमेें अपनी निजी भाषा को अपनाना चाहिए हिंदु नववर्ष पर आज हम सभी संकल्प लें कि कम से कम अपना नाम अंग्रेजी में नहीं लिखेंगे।
सीएम शिवराज ने जनता को तो यह संकल्प तो दिला दिया लेकिन उन्होंने खुद और उनकी टीम ने ही इस संकल्प पर अमल नहीं किया। खबर लिखे जाने तक ट्विटर और फेसबुक पेज पर शिवराज सिंह का नाम अंग्रेजी में ही लिखा हुआ था। यही नहीं हिंदी में नाम लिखे जाने के संकल्प का आव्हान किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर तो सीएम शिवराज के परिजन के विदेश में पढ़ने पर भी सवाल उठाए गए।