धोखे का बीज: निजी उत्पादकों की जेब भरने किसान से छल, पीले सोने की खेती पर खतरा
सरकार ने सोयाबीन के बीज की अंकुरण क्षमता 70 प्रतिशत से घटाकर 60 प्रतिशत किये जाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश में निजी उत्पादकों की जेब भरने किसानों से धोखा किए जाने की तैयारी है। शिवराज सरकार ने सोयाबीन के बीज की अंकुरण क्षमता 70 प्रतिशत से घटाकर 60 प्रतिशत किये जाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। कम अंकुरण क्षमता के बीजों से किसानों की मेहनत पर न सिर्फ पानी फिर जाएगा बल्कि प्रदेश में सोयाबीन की खेती का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
मध्यप्रदेश पीला सोना यानी सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादकों में एक है लेकिन बीते पांच सालों में किसानों के लिए सोयाबीन की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। जिसका कारण किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज न मिल पाना है। अब सरकार ने सोयाबीन बीजों की गुणवत्ता को 10 प्रतिशत और भी कम करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है जिससे बीज की उपलब्धता बढ़ाई जा सके।
केंद्र सरकार ने सोयाबीन बीज का अंकुरण प्रतिशत 70 फीसदी तय किया है। इससे कम अंकुरण क्षमता होने पर उत्पादकों को बीज बेचने की अनुमति ही नहीं है लेकिन राज्य के किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग ने अंकुरण क्षमता 60 प्रतिशत तक शिथिल किए जाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है।
इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि मध्यप्रदेश राज्य कृषि बीज उत्पादक संघ सहित निजी बीज उत्पादक संस्थाओं के पास 60 फीसदी अंकुरण मानक तक के दो लाख क्विंटल से अधिक बीज हैं। 70 फीसदी का मानक शिथिल किए जाने से यह बीज किसानों के उपयोग में आ सकेंगे। बीज की गुणवत्ता में कमी का कारण बीते साल के खराब मौसम और सोयाबीन पर कीटों का हमला बताया जा रहा है।
अब अगर किसान इन कम गुणवत्ता के बीजों का इस्तेमाल करेगा तो उसे सोयाबीन उत्पादन में नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं कम गुणवता के बीज से तैयार फसल बेचना उसके लिए आसान नहीं होगा और न उसे अपनी फसल का अपेक्षित दाम मिल पायेगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी सरकार के इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए इससे किसानों को भारी नुकसान आशंका जताई है। उन्होंने सरकार से कहा है कि निजी बीज उत्पादकों एवं सौदागरों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों का गला मत घोंटिए।
प्रदेश के कृषि विशेषज्ञ भी सरकार के इस प्रस्ताव को किसानों से खिलवाड़ मान रहे हैं क्योंकि प्रदेश में बीज उत्पादन का बड़ा हिस्सा निजी हाथों में है। सहकारी समितियों पर बी न मिलने की स्तिथि में किसान भी बीज के लिए निजी उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में अगर कम अंकुरण मानक का बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा तो उनका उत्पादन घटना स्वभाविक है।
कृषि मंत्री ही बता चुके घाटे का सौदा
प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल स्वयं सोयाबीन की खेती को घाटे का सौदा बता किसानों से अन्य विकल्पों पर भी गौर करने की बात कह चुके हैं। कृषि मंत्री के मुताबिक बीज निगम के पास सोयाबीन के बीज उपलब्ध नहीं हैं। कृषि मंत्री ने माना था कि पिछले साल एक हेक्टेयर में 6 क्विंटल का औसत सोयाबीन निकला था जिसकी बाजार में कीमत 10 से 12 हजार है और औसतन लागत 14 हजार रुपए आ रही है।