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गुंदेचा बंधु फिर विवादों में…

ध्रुपद संस्थान (Dhrupad Sansthan) के गुंदेचा बंधुओं (gundecha brothers) के खिलाफ एक विदेशी छात्रा द्वारा यौन शोषण के आरोप लगाए जाने के बाद संगीतकार बंधुओं का विवादों से नाता थम नहीं रहा है।

ग्वालियर (जोशहोश डेस्क) ध्रुपद संस्थान (Dhrupad Sansthan) के गुंदेचा बंधुओं (gundecha brothers) के खिलाफ एक विदेशी छात्रा द्वारा यौन शोषण के आरोप लगाए जाने के बाद संगीतकार बंधुओं का विवादों से नाता थम नहीं रहा है। अब ग्वालियर के तानसेन समारोह में एक महिला गायक ने पखावज वादक अखिलेश गुंदेचा का नाम कार्यक्रम की सूची से हटवा दिया।

ग्वालियर में चल रहे तानसेन समारोह में जयपुर की ध्रुपद गायिका मधु भट्ट तैलंग ने गुंदेचा का नाम अपने संगीतकार के रूप में हटाए जाने के लिए उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी से कहा था। जिसके बाद उनका नाम हटा दिया गया। मधु ने कहा कि मैंने ही गुंदेचा का नाम फाइनल किया था, लेकिन जब उनपर लगे आरोपों के बारे में पता चला तो उनके साथ परफॉर्म से मना कर दिया। वहीं अखिलेश गुंदेचा का कहना है कि मेरे बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है। मेरी तबियत खराब है, इसलिए मैंने समारोह में हिस्सा लेने से मना किया है। मुझ पर लगे आरोप अभी सिद्ध नहीं हुए हैं।

ग्वालियर के बेहाट में 16वीं शताब्दी के मशहूर संगीतकार तानसेन की कब्र है। जहां शास्त्रीय संगीत का हर साल कार्यक्रम कराया जाता है। यह आयोजन उस्ताद अलाउद्दीन खान कला एवं संगीत एकेडमी और मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग मिलकर करते हैं।

क्या था मामला

नीदरलैंड की एक योगा टीचर ने सोशल मीडिया के ध्रुपद फैमिली यूरोप पेज पर पोस्ट लिखकर आरोप लगाया था कि ध्रुपद संस्थान के ट्रस्टी और संगीत टीचर अखिलेश गुंदेचा और रमाकांत गुंदेचा संगीत सिखाने के नाम पर शिष्याओं का यौन शोषण करते थे। रमाकांत गुंदेचा और अखिलेश गुंदेचा भोपाल स्थित प्रतिष्ठित आवासीय संगीत गुरुकुल संस्थान के लोकप्रिय गुरु हैं। रमाकांत गुंदेचा की निधन हो चुका है। जबकि अखिलेश गुंदेचा ध्रुपद संस्थान में बतौर ट्रस्टी कार्यरत हैं। यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद ध्रुपद संस्थान के चेयरमैन उमाकांत गुंदेचा ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी, जोकि मामले की जांच कर रही है।

ध्रुपद भारत के सबसे पुराने शास्त्रीय संगीत प्रारूपों में से एक है। यूनेस्को ने ध्रुपद संस्थान को सांस्कृतिक विरासत का दर्जा भी दिया हुआ है। साल 2012 में गुंदेचा बंधओं को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।

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