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अधूरा हाईवे- जाम और शॉर्टकट, जानिए क्यों हुआ सीधी बस हादसा

सीधी बस हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त हो गया है। 45 शव नहर से निकाले जा चुके हैं।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) सीधी बस हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त हो गया है। 45 शव नहर से निकाले जा चुके हैं। इनमें 24 पुरुष, 20 महिलाएं एवं 1 बच्चा शामिल है। सात यात्रियों को बचा लिया गया है। नहर में गिरी बस को भी निकाल लिया गया है। वहीं अब हादसे का कारण सामने आ गया है।

जानकारी के मुताबिक बस सीधी से सतना के लिए रवाना हुई थी। बस को सीधी से छुहिया घाटी होते हुए सतना पहुंचना था लेकिन झांसी- रांची हाईवे पर चल निर्माण कार्य के चलते यहां अक्सर जाम के हालात बन जाते हैं।

बस ड्राइवर हाईवे पर लगने वाले जाम से वाकिफ था। ऐसे में उसने हाईवे पर न जाकर बाणसागर नहर का संकरा रास्ता चुना। इस शॉर्टकट पर चलते हुए ड्राइवर बस पर नियंत्रण खो बैठा और बस नहर में जा गिरी। इस तरह बस ड्राइवर की एक चूक कई जिंदगियों को खत्म कर गई।

बस जबलानाथ परिहार टैवल्स की बताई जा रही है। बस का रजिस्ट्रेशन नंबर MP19P 1882 है। बस का फिटनेस 2 मई 2021 और परमिट 12 मई 2025 तक है। हादसे के बाद इसका परमिट केंसिल कर दिया गया है।

हादसे के वक़्त भी छुहिया घाटी में लगा जाम, फोटो क्रेडिट-@anuj_hanumat

हादसा के समय भी छुहिया घाटी में जाम लगा हुआ था सवाल यह भी है कि छुहिया घाटी के पास रोजाना जाम लग रहा है तो इसका वैकल्पिक उपाय क्यों नहीं तलाशा गया? अगर भारी वाहन भी नहर के संकरे रास्ते से निकल रहे थे तो उन्हें रोका क्यों नही गया?

हादसे को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी चूक सामने आई। बस की क्षमता 32 लोगों की है लेकिन इसमें 60 से ज्यादा लोग सवार थे। अगर ओवरलोड बसें प्रदेश में चल रही हैं तो परिवहन विभाग का अमला क्या कर रहा है? यह बड़ा सवाल है?

छिंदवाडा के सांसद नकुलनाथ ने भी सीधी बस हादसे पर सामने आई लापरवाहियों के लिए सरकार को घेरा है-

सीधी सतना के बीच इससे पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। साल 2006 में भी कुछ ऐसा ही हादसा हुआ था। जब यात्रियों से भरी बस गोविंदगढ़ तालाब में गिर गई थी। इस हादसे में 68 लोगों की जान चली गई थी।

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