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भाजपा से मुकाबले को भाजपाई स्टाइल में ही ताल ठोकते कमलनाथ

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भाजपा को भाजपा की स्टाइल में चुनौती देने को तैयार। राजधानी भोपाल में दिखाई झलक।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद एक ओर अखिल भारतीय कांग्रेस में मंथन का व्यापक दौर जारी है वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी भाजपा को भाजपा की स्टाइल में चुनौती देने को तैयार नजर आ रहे हैं। राजधानी भोपाल में गुरुवार को महंगाई के विरोध में कांग्रेस के प्रदर्शन में कमलनाथ ने फिर इस बात की झलक दिखा दी।

साल 2014 से पहले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ महंगाई को लेकर तरह तरह के प्रदर्शन किए थे। कमलनाथ ने भी कमोबेश उसी अंदाज में गैस सिलेंडर पर माल्यार्पण कर कांग्रेस के महंगाई विरोधी आंदोलन की शुरुआत कर चौंका दिया। सिलेंडर पर माला चढ़ाना कमलनाथ की राजनीति से मेल नहीं खाता लेकिन कमलनाथ के बदले अंदाज़ ने यह जरूर बता दिया कि नए जमाने की राजनीति में भी वे पीछे नहीं है और भाजपा के खिलाफ भाजपा की स्टाइल में ही लड़ने को भी वे तैयार हैं।

हालांकि महंगाई पर प्रदर्शन के बाद कमलनाथ ने मीडिया से बातचीत में यह भी जता दिया कि वे पद के पीछे भागने वालों में नहीं। उन्होंने दो टूक कहा कि मैं खुद किसी भी पद पर रहने का इच्छुक नहीं हूं। यहां तक कि 2018 में भी प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पार्टी ने ही नियुक्त किया था। कुल मिलाकर कमलनाथ का संकेत साफ है कि विचारधारा की लड़ाई में वे सबसे आगे हैं।

कमलनाथ किसी जमाने में युवा राजनीति के पैरोकार और इंदिरा गांधी के तीसरे पुत्र के रूप में जाने जाते थे। अब कमलनाथ राजनीति में पुरानी पीढ़ी के नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। मध्य प्रदेश में विपक्ष की राजनीति की बागडोर संभालने के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी वे पार्टी आलाकमान के लिए संकटमोचक साबित हुए हैं। हाल ही में पार्टी के असंतुष्ट G-23 नेताओं के साथ समन्वय में भी वे कारगर साबित हुए हैं जो कांग्रेस में उनके कद का प्रमाण है।

राष्ट्रीय राजनीति में भी कमलनाथ ने कांग्रेस नेताओं से अलग हटकर राजनीतिक धारा को बेहतर तरीके से समझा है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में उन्होंने कांग्रेस की छवि अल्पसंख्यक समर्थक पार्टी की नहीं बनने दी है। भारतीय जनता पार्टी जिस तरह की हिंदुत्ववादी राजनीति करती है कमलनाथ भी उसी तरह प्रतीकों के माध्यम से इस राजनीति का काउंटर करते रहे हैं।

छिंदवाड़ा में विशालकाय हनुमान प्रतिमा और मंदिर बनाने से लेकर अपनी 14 महीने की सरकार के दौरान लगातार गौ रक्षा गौशालाओं का निर्माण महाकाल मंदिर के पुनः सौंदर्यीकरण के लिए 300 करोड़ का बजट के अलावा राम वन पथ की प्लानिंग और उसकी शुरुआत आदि कुछ ऐसे कदम थे जिससे कमलनाथ ने अपनी छवि को कभी हिंदू विरोधी नहीं बनने दिया।

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी मीडिया के माध्यम से प्रदेश कांग्रेस के एक अन्य बड़े नेता दिग्विजय सिंह की हिंदू विरोधी छवि गढ़ने में कामयाब रही। कमलनाथ इस मामले में सजग रहे। अब वे प्रदेश के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी महंगाई, रोजगार और किसानों के बुनियादी मुद्दों पर केंद्र की मोदी और प्रदेश की शिवराज सरकार को चुनौती देने को तैयार दिखाई दे रहे हैं।

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