बर्बाद हो चुकी है मध्यप्रदेश में संतरे की फसल
असंतुलित बारिश और ओलावृष्टि के कारण इस बार मध्यप्रदेश में संतरों की फसल को खासा नुकसान हुआ है।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) संतरों के उत्पादन के मामले में मध्यप्रदेश पिछले कई सालों से देश में नंबर वन है। लेकिन इस बार संतरों की सर्वाधिक पैदावार का तमगा मध्यप्रदेश से छिन सकता है। असंतुलित बारिश और ओलावृष्टि के कारण इस बार मध्यप्रदेश में संतरों की फसल को खासा नुकसान हुआ है। मालवांचल के जिलों में खट्टे-मीठे फलों से लदे रहने वाले संतरों के बगीचे इस वार बीरान पड़े हुए हैं। असंतुलित मौसम के चलते फूल झड़ने की वजह से इस बार संतरे का उत्पादन कम है, जिस वजह से किसानों को अरबों रुपयों के नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।
पिछले सालों से नागपुर से भी ज्यादा संतरों का उत्पादन मध्यप्रदेश में
प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिले के अलावा मालवांचल के आगर मालवा, शाजापुर, मंदसौर और नीमच जिले में संतरे की बंपर पैदावार होती होती है। स्तिथि यह है कि पिछले कई वर्षों से मध्यप्रदेश ने संतरे के पैदावार के मामले में नागपुर को भी पीछे छोड़ दिया है। लेकिन इस बार मालवा में मानसून का संतुलन बिगड़ने और पाला की मार से संतरे के फूल और पत्ते झड़ चुके हैं। जिस किसान के यहाँ कभी 70-80 मीट्रिक टन फसल होती थी। इस बार एक क्विंटल संतरा भी नहीं हो पा रहा है।
संतरों का उत्पादन करने वाले किसानों का क्या कहना है
किसानों का कहना है कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण इस साल की फसल बिगड़ गई है। हर किसान को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। संतरे में फूल तो आए लेकिन तापमान बढ़ने और नमी घटने से फूल धराशायी हो गए। कई किसानों ने परेशान होकर पेड़ो को ही काट दिया।
कृषि मंत्री की राय
प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि संतरा किसानों से मुझे भी सूचना मिली है, शासन के स्तर पर सर्वेक्षण कराया जाएगा। किसानों को वैज्ञानिकों की उचित सलाह और प्राकर्तिक आपदा से हुए नुक्सान का मुआवजा भी दिलाएंगे।
देश में संतरा उत्पादन की क्या स्थिति है
मध्यप्रदेश
क्षेत्र : 1 लाख 21 हज़ार हेक्टेयर उत्पादन : 21 लाख मीट्रिक टन
महाराष्ट्र
क्षेत्र : 1 लाख 7 हज़ार हेक्टेयर उत्पादन : 7 लाख 97 हज़ार मीट्रिक टन
पंजाब
क्षेत्र : 51 हज़ार हेक्टेयर उत्पादन : 12 लाख मीट्रिक टन
आंध्रप्रदेश
क्षेत्र : 32 हज़ार हेक्टेयर उत्पादन : 69 हज़ार मीट्रिक टन
राजस्थान
क्षेत्र : 23 हज़ार हेक्टेयर उत्पादन : 3.17 लाख मीट्रिक टन