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सागर के गंगाचरण दुबे द्वारा अनुवादित “भारत के न्यायालय” पुस्तक का राष्ट्रपति ने किया विमोचन

जबलपुर (जोशहोश डेस्क) मानस भवन में हुए ऑल इंडिया स्टेट ज्यूडिशल एकेडमी डायरेक्टर्स रिट्रीट कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोर्ट्स ऑफ इंडिया पास्ट टू प्रजेंट पुस्तक के हिंदी अनुवाद भारत के न्यायालय (अतीत से वर्तमान) का विमोचन किया। इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद सागर के रहने वाले अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गंगाचरण दुबे ने किया है।

गंगाचरण दुबे उन न्यायाधीशों में से हैं जो अपने फैसलों की वजह से चर्चित रहे हैं। वे छात्र जीवन से ही प्रतिभाशाली रहे हैं। गंगाचरण दुबे ने सागर विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। वे विश्वविद्यालय में छात्र नेता भी थे तथा उन्होंने एलएलएम की परीक्षा में देश में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए थे।

खरगोन में रहते हुए गंगाचरण दुबे ने अपने तीन साल के सीजेएम कार्यकाल में 20 से ज्यादा बड़े मामलों को निराकरण किया था। तब प्रदेश में नेशनल लोक अदालत में सबसे ज्यादा केसों निराकरण में खरगोन प्रथम रहा था। कुछ साल पहले खंडवा में उन्होंने मवेशियों क कोर्ट में खड़े कर फैसले दिए थे। इसमें एक बकरी चोरी का मामला था। जो पक्षों ने यह दावा किया था कि बकरी उनकी है। उन्होंने कोर्ट में बकरी को खड़ा किया। बकरी अपने मालिक के पास चली गई और फैसला हो गया। उस वक्त उनके इस फैसले की चर्चा पूरे देश में हुई थी।

भारत के न्यायालय (अतीत से वर्तमान) पुस्तक भारतीय न्यायपालिका के 69 वर्षीय गौरवशाली इतिहास का वर्णन करता है। इस पुस्तक को भारतीय संविधान की अनुसूची में वर्णित सभी क्षेत्रीय भाषाओं में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रकाशित कराया जा रहा है। यह पुस्तक भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों के संपादक मंडल के मार्गदर्शन में प्रकाशित हुई है।

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