कश्मीर से हिंदुओं के पलायन को तीन महीने में ही भूल गई थी भाजपा!
कश्मीर से हिंदुओं के सबसे बड़े पलायन के महज तीन महीने बाद हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस खौफनाक दास्तान का जिक्र तक नहीं था।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद घाटी से हिंदुओं के पलायन मुद्दा फिर सुर्खियों में है। वहीं घाटी से हुए सबसे बडे पलायन के समय भाजपा की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं यह भी सामने आया है कि कश्मीर से हिंदुओं के सबसे बड़े पलायन के महज तीन महीने बाद हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रारंभिक सम्बोधन में पलायन की इस खौफनाक दास्तान का जिक्र तक नहीं था।
पत्रकार और एक्टिविस्ट सौमित्र राॅय ने अपनी फेसबुक वाॅल पर इस तथ्य को शेयर किया है। सौमित्र राॅय ने इस भयावह पलायन के तीन महीने बाद हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष लालकष्ण आडवाणी के प्रारंभिक संबोधन की प्रति भी साझा की है-
पढ़िए सौमित्र राॅय की ये दिलचस्प पोस्ट-
6 अप्रैल 1990- यानी जनवरी में घाटी से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन से 3 महीने बाद बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक।
एलके आडवाणी की अध्यक्षता में कलकत्ता में हुई इस बैठक में अध्यक्षीय भाषण पर ज़रा गौर कीजिए।
इसमें 3 महीने पहले ही कश्मीर में हिंदुओं के सबसे बड़े पलायन का ज़िक्र नहीं मिलेगा। कार्यकारिणी के स्वीकृत शोक प्रस्ताव में भी, जबकि अब बीजेपी कश्मीरी हिंदुओं के पलायन के पीछे नरसंहार का दावा करती है।
आरएसएस और उससे निकली बीजेपी हमेशा मौकापरस्त रही है। उसे हिंदुओं से कोई लेना-देना नहीं। सिर्फ़ कुर्सी से है।
वैसे ही, जैसे विवेक अग्निहोत्री को पैसा कमाने से। आडवाणी को उसी साल सितंबर में देश को बांटने के लिए रथ यात्रा निकालनी थी। फ़िर कश्मीर को क्यों याद करना।
वीपी सिंह मंडल कार्ड खेल रहे थे। बीजेपी को कमंडल से जवाब देना था। हिन्दू पंडितों का मसला रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया।
खुद, बीजेपी के नेता जसवंत सिंह 13 मार्च 1990 को लोकसभा में कह रहे हैं कि कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए सेना और BSF की ज़रूरत नहीं।
फिर विवेक अग्निहोत्री कौन सा और किसके हिस्से का “सच” बता रहे हैं? ख़ुद तय कीजिये।
गौरतलब है कि कश्मीर घाटी से जब सबसे बड़ा पलायन हुआ उस समय केंद्र में भाजपा के समर्थन से चल रही वीपी सिंह की सरकार थी और भाजपा ने कश्मीर में हिंदुओं के पलायन पर सरकार से समर्थन वापस लेने की कोई पहल नहीं की थी। इस पलायन के करीब साल भर बाद राममंदिर के लिए रथयात्रा पर निकले लालकष्ण आडवानी की गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस लिया था।