
नई दिल्ली/भोपाल (जोशहोश डेस्क) पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणामों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। एग्जिट पोल के बाद अब निगाहें एग्जेक्ट पोल यानी नतीजों पर टिकी हुई हैं। वहीं राजनीतिक दलों ने चुनाव नतीजों के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर ली है। इस सिलसिले में मध्यप्रदेश के दो दिग्गज नेताओं कमलनाथ और कैलाश विजयवर्गीय को भी अहम भूमिका सौंपी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ को पार्टी ने पंजाब और उत्तराखंड में सरकार बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय को उत्तराखंड में सरकार बनाने में आने वाली बाधाओं को दूर करने की जिम्मेदारी दी है। दोनों ही राज्यों में कांटे का मुकाबला दिखाई दे रहा है। उत्तराखंड में जहां कांग्रेस सत्ताधारी भाजपा को कड़ी चुनौती दे रही है। वहीं पंजाब में कांग्रेस की सत्ता को आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही है।
कमलनाथ को पंजाब और उत्तराखंड दोनों राज्यों की जिम्मेदारी दिए जाने के पीछे उनके लंबे राजनीतिक अनुभव को कारण बताया जा रहा है। कमलनाथ को सोनिया गांधी के साथ राहुल और प्रियंका गांधी का भी विश्वासप्राप्त है। यही कारण है कि कमलनाथ को कांग्रेस की दृष्टि से दोनों महत्वपूर्ण राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है।
पंजाब और उत्तराखंड दोनों ही राज्यों में कांटे का मुकाबला दिखाई दे रहा है। ऐसे में हर एक विधायक दोनों ही दलों के लिए अहम साबित होगा। गोवा के बीते विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा दल होने के बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी। इससे सबक लेकर कांग्रेस ने इस बार पहले ही चुनावी राज्यों में अपने सीनियर लीडर्स को उतार दिया है। इन राज्यों में अगर दोनों दलों की सीटों में बहुत अंतर नहीं हुआ तो कमलनाथ पर अपने विधायकों को एकजुट रख सरकार बनाने की दिशा में त्वरित एक्शन लेना होगा। इस स्थिति में कमलनाथ की वरिष्ठता और गांधी परिवार का करीबी होना निर्णायक साबित हो सकता है।
पंजाब में कांग्रेस सरकार को आम आदमी पार्टी के अलावा शिरोमणी अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से चुनौती मिल रही है। चरणजीत सिंह चन्नी को चेहरा बनाए जाने के बाद कांग्रेस राज्य में कैप्टन अमरिंदर सिंह इफेक्ट और अंदरूनी विवादों से उबरती नजर आई है। कांग्रेस को उम्मीद है कि उसे राज्य में स्पष्ट बहुमत मिलेगा और अगर ऐसा नहीं होता तो भी कांग्रेस के राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने की उम्मीद है। दोनों ही स्थितियों में पार्टी को दोबारा सत्ताशीर्ष तक पहुंचाने का दारोमदार कमलनाथ पर होगा।
इससे पहले भी कई मौकों पर कमलनाथ पार्टी आलाकमान के लिए मध्यप्रदेश से बाहर अपनी उपयोगिता साबित कर चुके हैं। बीते साल ही राजस्थान में कांग्रेस के संकट को भी सुलझाने में कमलनाथ ने पार्टी आलाकामन के निर्देश पर अहम भूमिका निभाई थी। दिल्ली में इलाज के दौरान कमलनाथ ने राजस्थान के नेताओं से मेल मुलाकात कर अशोक गहलोत सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों को तगड़ा झटका दिया था।
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में कांटे का मुकाबला देखते हुए जोड़ तोड़ में माहिर कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतार दिया है। कैलाश विजयवर्गीय इससे पहले भी उत्तराखंउ की सियासत में उलट पलट की पटकथा में अहम भूमिका निभा चुके हैं। ऐसे में अगर राज्य में पार्टी बहुमत से पीछे रह जाती है तो निर्दलीय व दूसरे दलों के विधायकों से समन्वय के लिए विजयवर्गीय का रोल अहम हो जाएगा। विजयवर्गीय अपने मिशन पर देहरादून पहुंच भी गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धाम से मुलाकात कर सियासी नब्ज भी टटोल ली है।